कुल बकाया में उत्तर प्रदेश के किसानों का हिस्सा करीब 9,500 करोड़ रुपये
ज्यादातर चीनी का इंडोनेशिया और ईरान को निर्यात किया गया।
लॉकडाउन में ढील के बाद चीनी की मांग सामान्य होने के संकेत
चीनी निर्यातक संगठनों का अनुमान है कि इस साल निर्यात रिकॉर्ड 55 लाख टन संभव
गन्ना और चीनी उद्योग पर नीति अयोग द्वारा गठित एक टास्क फोर्स ने दो रुपए प्रति किलो की एकमुश्त वृद्धि की सिफारिश की है।
चीनी मिलों का 2019-20 के चीनी सत्र में अब तक 2.7 करोड़ टन चीनी का उत्पादन
मई में छूट बढ़ने के साथ चीनी की मांग बढ़ने के संकेत
इस साल चीनी की कुल अनुमानित खपत 290 लाख टन, वहीं कुल आपूर्ति 415 लाख टन संभव
महासंघ ने निर्यात प्रोत्साहनों और बफर स्टॉक खर्चों की बकाया राशि का भुगतान करने के लिए धन का प्रावधान करने का सुझाव दिया है।
ISMA के मुताबिक गिरावट से पहले के 5 महीनों में चीनी बिक्री में बढ़त का रुख था
चीनी मिलों को अगले हफ्ते तक रिपोर्ट देने के निर्देश
इस्मा ने चीनी मिलों के उत्पादन के आंकड़े भी जारी किए हैं। घरेलू चीनी मिलों का उत्पादन 15 मार्च 2020 तक घटकर 215.82 लाख टन रहा। जबकि 15 मार्च 2019 तक यह 273.65 लाख टन था।
महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन करीब 45 प्रतिशत घटा
संगठन ने बयान में कहा है कि पहले से अधिक मात्रा में बी-हेवी मलैसज (शीरा) और गन्ना रस को एथेनॉल के उत्पादन में इस्तेमाल किए जाने से भी चीनी का उत्पादन पिछले साल से कम रहने का अनुमान है।
चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का पिछले दो चीनी सत्रों का 2,400 करोड़ रुपए का बकाया है। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
सरकार ने अधिकतम स्वीकार्य निर्यात कोटा (एमएईक्यू) योजना के तहत 2019-20 के मौजूदा विपणन वर्ष के लिए 6,50,000 टन चीनी कोटा का नए सिरे से आवंटन किया है।
इस्मा को उम्मीद है कि चालू सत्र में चीनी मिलों द्वारा चीनी की बिक्री 260 लाख टन के आसपास होगी।
केंद्र सरकार द्वारा 2019-20 चीनी वर्ष के लिए एफआरपी में वृद्धि नहीं की गई है।
देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में मिलों ने 15 दिसंबर तक 21.2 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में यह 15 प्रतिशत अधिक है।
चीनी सत्र 2018-19 (अक्टूबर 2018 से सितंबर 2019) में निर्यात के लिए मिलवार 50 लाख टन चीनी का एमआईक्यूएम कोटा तय किया गया था।
लेटेस्ट न्यूज़