चीनी सत्र 2023-24 में चीनी उत्पादन 3.2 करोड़ टन होने का अनुमान है, जो पिछले सत्र के 3.28 करोड़ टन से कम है, लेकिन 2.7 करोड़ टन की घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है।
कृषि डेटा और विश्लेषण फर्म ग्रो इंटेलिजेंस की वरिष्ठ शोध विश्लेषक केली गौगरी ने कहा कि चीनी की वैश्विक आपूर्ति मार्च तक राहत नहीं मिल पाएगी। यानी दाम मार्च के बाद ही कम होंगे।
एक साल पहले की इसी अवधि में यह 94.4 लाख टन रहा था। इस दौरान देश में चीनी के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में उत्पादन पहले के एक करोड़ 26.5 लाख टन से घटकर 1.05 करोड़ टन रह गया
इससे पहले जुलाई 2021 में इस्मा ने 3.1 करोड़ टन चीनी के उत्पादन का प्रारंभिक अनुमान दिया था। एक अक्टूबर तक देश में 82.9 लाख टन चीनी का शुरुआती स्टॉक मौजूद है।
इस्मा ने कहा कि चीनी की मांग मार्केटिंग वर्ष 2020-21 में 260 लाख टन को पार कर सकती है, जबकि पिछले वर्ष यह मांग 253 लाख टन रही थी।
उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन 110.16 लाख टन और महाराष्ट्र में 106.28 लाख टन रहा है। महाराष्ट्र में क्रशिंग सीजन खत्म हो गया है।
चीनी वर्ष 2019-20 (अक्टूबर-सितंबर) में उत्पादन 2.74 करोड़ टन था। हालांकि नए अनुमान के मुताबिक अब देश में 3.02 करोड़ टन चीनी का उत्पादन होगा। देश में सालाना चीनी की खपत 2.6 करोड़ टन है।
आंकड़ों के मुताबिक 28 फरवरी 2021 तक देश की 502 चीनी मिलों ने कुल मिलाकर 233.77 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। जबकि पिछले साल की इसी अवधि में कुल मिलाकर 194.82 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
इस्मा के अनुमानों कें मुताबिक 2020-21 शुगर सीजन में उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें 105 लाख टन चीनी का उत्पादन कर सकती हैं। पिछले साल 126.37 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। वहीं महाराष्ट्र में 105.41 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है जो कि पिछले साल 61.69 लाख टन के स्तर पर था।
इस्मा ने कहा कि इस अधिक उत्पादन का कारण यह है कि महाराष्ट्र में पेराई का काम जल्दी शुरू किया गया तथा चालू सत्र में गन्ना की अधिक मात्रा में उपलब्ध है।
उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन पहले के 11.46 लाख टन से बढ़कर 12.65 लाख टन हो गया। महाराष्ट्र में, चीनी उत्पादन 15.72 लाख टन रहा, जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 1.38 लाख टन था।
भारत का चीनी उत्पादन चालू महीने से शुरू होने वाले 2020-21 के विपणन सत्र में 13 प्रतिशत बढ़कर 3.1 करोड़ टन होने का अनुमान है।
चीनी की कीमतों में किसी भी बड़ी वृद्धि की संभावना नहीं
इस्मा ने चीनी मिलों के उत्पादन के आंकड़े भी जारी किए हैं। घरेलू चीनी मिलों का उत्पादन 15 मार्च 2020 तक घटकर 215.82 लाख टन रहा। जबकि 15 मार्च 2019 तक यह 273.65 लाख टन था।
संगठन ने बयान में कहा है कि पहले से अधिक मात्रा में बी-हेवी मलैसज (शीरा) और गन्ना रस को एथेनॉल के उत्पादन में इस्तेमाल किए जाने से भी चीनी का उत्पादन पिछले साल से कम रहने का अनुमान है।
सरकार ने अधिकतम स्वीकार्य निर्यात कोटा (एमएईक्यू) योजना के तहत 2019-20 के मौजूदा विपणन वर्ष के लिए 6,50,000 टन चीनी कोटा का नए सिरे से आवंटन किया है।
इस्मा को उम्मीद है कि चालू सत्र में चीनी मिलों द्वारा चीनी की बिक्री 260 लाख टन के आसपास होगी।
केंद्र सरकार द्वारा 2019-20 चीनी वर्ष के लिए एफआरपी में वृद्धि नहीं की गई है।
देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में मिलों ने 15 दिसंबर तक 21.2 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। एक साल पहले की समान अवधि की तुलना में यह 15 प्रतिशत अधिक है।
चीनी सत्र 2018-19 (अक्टूबर 2018 से सितंबर 2019) में निर्यात के लिए मिलवार 50 लाख टन चीनी का एमआईक्यूएम कोटा तय किया गया था।
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