चीनी सत्र 2018-19 (अक्टूबर 2018 से सितंबर 2019) में निर्यात के लिए मिलवार 50 लाख टन चीनी का एमआईक्यूएम कोटा तय किया गया था।
देश में चीनी उत्पादन पिछले साल के मुकाबले लगभग 54 प्रतिशत पिछड़ गया है।
केंद्र सरकार ने मंगलवार को घोषणा की कि मिलों को गन्ने के शीरे से अतिरिक्त इथेनॉल का उत्पादन करने के लिए पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी क्योंकि यह प्रदूषणकारी नहीं है।
जुलाई में इस्मा ने अपने प्रारंभिक अनुमान में 2019-20 चीनी वर्ष के लिए 282 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान जारी किया था।
चीनी मिलों में गन्ने की पेराई और चीनी का उत्पादन नए पेराई सत्र 2019-20 में आरंभ होने में थोड़ा विलंब हुआ, लेकिन देशभर की 28 चीनी मिलें अब चालू हो गई हैं और अब तक 14.50 लाख टन गन्ने की पेराई से कुल 1.25 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है।
2018-19 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में भारत का चीनी उत्पादन 331 लाख टन था, जबकि देश की वार्षिक घरेलू खपत 250-260 लाख टन के आसपास है।
कैबिनेट ने चीनी वर्ष 2019-20 के लिए चीनी मिलों को चीनी का निर्यात करने के लिए 10,448 रुपए प्रति टन के हिसाब से सब्सिडी देने को मंजूरी दी है।
चीनी उत्पादन करने वाली प्रमुख कंपनी बजाज हिन्दुस्तान ने कहा कि कंपनी के स्वतंत्र निदेशक माधव लक्ष्मण आप्टे ने स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
बेसिक रिकवरी 10 प्रतिशत के अलावा प्रत्येक 0.1 प्रतिशत अतिरिक्त रिकवरी के लिए 2.75 रुपए प्रति क्विंटल का भुगतान चीनी मिलों द्वारा किसानों को किया जाएगा।
गडकरी ने कहा कि केंद्र सरकार ने इथेनॉल पर एक पारदर्शी नीति पेश की है और पेट्रोलियम मंत्रालय उसे खरीदने के लिए तैयार है।
चीनी का उत्पादन व विपणन सीजन एक अक्टूबर से आरंभ होकर 30 सितंबर तक चलता है।
इस आदेश का किसी भी तरह से उल्लंघन किए जाने पर आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
चीनी के अधिशेष स्टॉक के बीच देश की चीनी मिलों ने पश्चिम एशिया और श्रीलंका जैसे देशों को करीब आठ लाख टन चीनी का निर्यात करने का अनुबंध किया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की चीनी मिलों को राष्ट्रीयकृत एवं अन्य बैंकों के जरिए आसान शर्तों पर 4,000 करोड रुपये का कर्ज उपलब्ध कराने का फैसला किया है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा, बुधवार को गन्ना किसानों के उत्पादन सहायता को दोगुना से अधिक करने तथा चीनी का निर्यात करने वाली मिलों को परिवहन सब्सिडी देने के लिए कुल मिला कर 4,500 करोड़ रुपये के पैकेज पर विचार किए जाने की संभावना है।
चीनी मिलें अगले पेराई सत्र (अक्तूबर-अप्रैल 2018-19) के दौरान एक लाख करोड़ के गन्ने की खरीद कर सकती है। उनके वर्तमान नकदी संकट को देखते हुए आगामी सत्र में गन्ने के लिए भुगतान संकट की स्थिति बढ़ है।
केंद्र सरकार ने चीनी मिलों को फिर राहत देते हुए न्यूनतम सांकेतिक निर्यात कोटा यानी एमआईईक्यू के तहत चीनी निर्यात की समयसीमा तीन महीने बढ़ा दी है।
गन्ना किसानों की बढ़ती बकाया राशि को देखते हुये एक अनौपचारिक मंत्रीस्तरीय समिति की बैठक में सोमवार को समस्या के निदान के लिये विभिन्न विकल्पों पर विचार-विमर्श किया गया।
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कि सानों के गन्ने के भुगतान का बकाया बढ़ने पर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकारों को किसानों के भुगतान के लिए चीनी मिलों को सख्त निर्देश जारी करना चाहिए
सरकार ने चीनी के निर्यात पर लगने वाले 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क को समाप्त कर दिया है। सूत्रों ने बताया कि चीनी के निर्यात को बढ़ावा देने और जमा स्टॉक को कम करने के मकसद से सरकार ने यह कदम उठाया है।
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