फिलहाल कंपनी में सरकार की हिस्सेदारी 54 प्रतिशत है। शेष 46 प्रतिशत हिस्सेदारी आम निवेशकों , बैंकों, विदेशी संस्थागत निवेशकों और कर्मचारियों के पास है।
डूबे कर्ज (NPA) की वजह से बैंक ऑफ इंडिया अपनी कुछ अनुषंगियों में हिस्सेदारी बेचने की संभावना तलाश रहा है ताकि पूंजी जुटाई जा सके।
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