राज्यों को जल-आपूर्ति और स्वच्छता, शहरी विकास, सड़कों एवं सिंचाई जैसे ढांचागत क्षेत्रों पर पूंजीगत व्यय 18-20 प्रतिशत होने से कुल राजस्व घाटा बढ़ेगा। इसलिए राज्यों को अधिक कर्ज लेने की जरूरत पड़ेगी।
पश्चिमी-दक्षिणी राज्यों की अगुवाई में पिछले 25 साल में बैंक कर्ज में कई गुना का इजाफा हुआ है। बकाया कर्ज 1.04 लाख करोड़ से बढ़कर 68.78 लाख करोड़ हुआ
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