महाराष्ट्र में सर्वाधिक 1,42,425 कंपनियां बंद हुईं, और उसके बाद दिल्ली में 1,25,937 कंपनियां बंद हुईं।
आयरक विभाग का आरोप है कि 254 करोड़ रुपए का निवेश समूह की एक अन्य कंपनी एचईपीसीएल द्वारा सौर पैनलों के आयात का अधिक बिल दिखाकर किया गया।
आम्रपाली के दस्तावेजों से पता चलता है कि समूह की एक कंपनी द्वारा घर खरीदारों से प्राप्त धन में से करीब 100 करोड़ रुपए की राशि गौरीसूत इंफ्रास्ट्रक्चर्स प्राइवेट लिमिटेड को हेराफेरी से पहुंचाई गई।
सरकार ने शुक्रवार को कहा कि अवैध धन के प्रवाह को रोकने के प्रयासों के तहत दूसरे चरण में लगभग 55 हजार मुखौटा कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया गया है
नोटबंदी पर नेशनल काउंसिल आफ एप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (NCAER) के सीनियर फेलो डॉ. कन्हैया सिंह से पूछे गए पांच सवाल और उनके जवाब
देश में कुल पंजीकृत 17.79 लाख कंपनियों में से जून अंत तक करीब 66 प्रतिशत कंपनियां ही सक्रिय थीं। मुखौटा कंपनियों के खिलाफ सरकार की कार्रवाई के बीच आधिकारिक आंकड़ों से यह बात सामने आयी है। कारपोरेट कार्य मंत्रालय के ताजा आंकड़े के अनुसार 30 जून तक 11.89 लाख से अधिक कंपनियां काम कर रही थी। यानी ये कंपनियां अपनी सामान्य कारोबारी गतिविधियों के साथ नियम के मुताबिक जरूरी सूचनाएं समय पर दे रही थी।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) बुधवार से 222 कंपनियों के शेयरों को अपने प्लेटफॉर्म से हटा रहा है। इन कंपनियों के शेयरों में छह महीने से अधिक से कारोबार स्थगित है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सरकार मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई कर रही है।
केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी ने गड़बड़ी करने वाली कंपनियों को कठोर चेतावनी देते हुए कहा कि निवेशकों के हितों की कीमत पर कंपनी को स्वायत्तता नहीं दी जा सकती है। उन्होंने संकेत दिया कि मुखौटा कंपनियों की जांच से राजनीतिक दलों और व्यक्तियों के बारे में ‘कुछ बातें’ सामने आ सकती हैं।
रकार नियमानुसार सालाना वितीय लेखा-जोखा दाखिल नहीं करने वाली कंपनियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। सरकार ने आज कहा कि उसने ऐसी 2.25 लाख से अधिक कंपनियों और 7,191 सीमित दायित्व भागीदारी (एलएलपी) वाली इकाइयों की पहचान की है
आयकर विभाग पंजीकरण रद्द की जा चुकी कई कंपनियों के खिलाफ राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (NCLT) में करोड़ों रुपये के बकाया कर की वसूली के लिए याचिकाएं दायर कर सकता है।
विभिन्न एजेंसियां और नियामक सिर्फ कागज पर मौजूद संदिग्ध कंपनियों की वित्तीय अनियमितताओं के लिए जांच कर रही हैं। वहीं सरकार ऐसी मुखौटा कंपनियों के लिए एक उचित परिभाषा लाने की तैयारी कर रही है जिससे जांच में अड़चन न आए और अभियोजन कानून के समक्ष टिक सके।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस अक्तूबर 2017 के अंत में देश में सक्रिय या कारोबार कर रही पंजीबद्ध कंपनियों की संख्या 11.30 लाख से थोड़ी अधिक रह गयी थी।
कालेधन के खिलाफ कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने राज्यों से उन कंपनियों की संपत्तियों की पहचान करने को कहा है, जिनका पंजीकरण रद्द किया जा चुका है।
मुखौटा कंपनियों के खिलाफ सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान से करीब 4.5 लाख निदेशकों पर गाज गिर सकती है।
CBI और ED ने खुलासा किया है कि माल्या ने बैंकों से जो 6 हजार करोड़ से अधिक का लोन उठाया था उसे विदेशों में स्थित शेल कंपनियों में डायवर्ट किया था।
सरकार ने मुखौटा कंपनियों पर कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए इनसे जुड़े 55 हजार से अधिक डायरेक्टर्स के नाम सार्वजनिक कर दिए हैं।
आयकर विभाग और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने कंपनियों के पैन और ऑडिट रिपोर्ट को नियमित रूप से साझा करने के लिए करार किया है।
काला धन छिपाने में ऑडिटरों की भूमिका की जांच के लिए मुखौटा कंपनियों पर कई एजेंसियों ने कड़ी कार्रवाई की नीति अपना ली है।
कालाधन से निपटने के प्रयासों पर आगे बढ़ते हुए सरकार शेल (मुखौटा) कंपनियों से जुड़े एक लाख से अधिक निदेशकों को अयोग्य घोषित करेगी।
गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (SFIO) के पास अब कंपनी कानून के उल्लंघन के मामलों में लोगों की गिरफ्तारी का अधिकार भी मिल गया है।
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