इस बार वित्त मंत्री की बजट पोटली से पांच अहम सेक्टर को बंपर सौगात मिल सकती है। जिन सेक्टर को इस बार बजट में खास तवज्जो मिलने की उम्मीद है उनमें कृषि, रियल एस्टेट, ऑटो (ईवी), मैन्युफैक्चिरिंग और हेल्थकेयर शामिल है।
भारतीय बाजर में गुरुवार को बड़ी गिरावट अमेरिकी फेड के ब्याज दर में बढ़ोतरी फैसले के कारण आया है। इसके साथ ही ब्रेंट क्रूड 90 डॉलर के करीब पहुंचने का असर भी भारतीय बाजार पर देखने को मिल रहा है।
मार्केट एक्सपर्ट संदीप जैन ने इंडिया टीवी को बताया कि बाजार में और बड़ी गिरावट आने की आशंका है। निफ्टी 16,300 से लेकर 16,500 तक जा सकता है। ऐसे में निवेशकों को न्यू एज कंपनियों यानी (स्टार्टअप) से दूरी बनाने की जरूरत है।
ब्रोकरेज फर्मों का कहना है कि अगले सात दिन बाजार में बड़ा उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। इसके पीछे वैश्विक और घरेलू धनाक्रम शामिल हैं जिनमें अमेरिकी फेड के फैसले और आम बजट है।
किसी भी कंपनी के आईपीओ में निवेश से पहले कुछ बातों पर जरूर ध्यान दें। कभी भी आंख मूंदकर या किसी के कहे पर निवेश नहीं करें।
हालांकि, हम इस तरह के किसी स्टॉक में आपको निवेश करने की सलाह नहीं दे रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार जो स्टॉक एकतरफा दौड़ लागते हैं उनमें जोखिम भी बहुत ज्यादा होता है।
कारोबारियों के मुताबिक विदेशी निवेशकों की बिकवाली और अमेरिकी फेडरल रिजर्व के मौद्रिक नीति को सख्त करने की खबर से भी घरेलू शेयर बाजार पर दबाव बना हुआ है।
शेयर बाजार में बड़ी गिरावट आने से निवेशकों को एक दिन में 9 लाख करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान उठाना पड़ा।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि बाजार में बड़ी गिरावट को देखकर म्यूचुअल फंड निवेशकों को घबराना नहीं चाहिए। अपने सिप को चालू रखना चाहिए। वहीं, अगर बाजार में बड़ी गिरावट आ गई और अब रिकवरी आने की बात विशेषज्ञ कर रहे हैं तो आप एकमुश्त रकम निवेश कर सकते हैं।
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि स्टार्टअप कंपनियों के शेयरों में बड़ी गिरावट की वजह है इन कंपनियों का कारोबार घाटे में होना है।
शेयर बाजार एक्सपर्ट हर्ष रुंगटा ने इंडिया टीवी को बताया कि अमेरिकी फेड के बयान जिसमें उसने ब्याज दरा में बढ़ोतरी की बात कि है उसका असर दुनिया सहित भारतीय बाजार पर दिख रहा है।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, अवकाश के कारण यह सप्ताह छोटा है, और घटनाओं तथा आंकड़ों के लिहाज से महत्वपूर्ण होने जा रहा है।
इन्फोसिस, टीसीएस, सन फार्मा, एचसीएल टेक, एचयूएल, डॉ.रेड्डीज, एचडीएफसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज में प्रमुख रूप से गिरावट रही।
विदेशी पूंजी की निरंतर निकासी और इंफोसिस, एचसीएल टेक तथा रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे बड़े शेयरों में बिकवाली से आज भी बाजार में बड़ी गिरावट आई है।
हमें उम्मीद है कि बजट और सुधारों से आर्थिक गतिविधियों में तेजी और खपत को और बढ़ावा मिलेगा। सरकार का फोकस हेल्थकेयर सेक्टर, ग्रामीण और कृषि और इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग जैसे सेक्टरों पर रहेगा।
प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों के शेयर में गिरावट के वैश्विक रूझान के अनुरूप सेंसेक्स में 1.7 प्रतिशत की गिरावट इंफोसिस में हुई।
विदेशी संस्थागत निवेशकों के बिकवाल रहने से घरेलू बाजार में उठापटक देखी गई। अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ने की आशंका के बीच बांड प्रतिफल बढ़ने से वैश्विक स्तर पर बाजारों में बिकवाली का दबाव रहा।
अन्य एशियाई बाजारों में शंघाई, हांगकांग और तोक्यो में तेजी थी, जबकि सोल में मध्य सत्र के सौदों में गिरावट देखी गई।
सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में अल्ट्राटेक सीमेंट करीब तीन प्रतिशत की तेजी के साथ सर्वाधिक लाभ में रही। महिंद्रा एंड महिंद्रा, मारुति सुजुकी, टाटा स्टील, टीसीएस, एलएंडटी, एसबीआई और एचयूएल के शेयर भी लाभ में रहे।
किसी भी शेयर में पैसा लगाने से पहले वह किस सेक्टर की कंपनी के शेयर है और उसका कारोबार क्या है यह पता करें। इसके बाद उस कंपनी की बैलेंस सीट, टर्नओवर, बिजनेस मॉडल और कंपनी का भविष्य क्या है आदि की जानकारी जुटाएं।
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