चालू वित्त वर्ष में अब तक 20 से अधिक कंपनियों ने आईपीओ के माध्यम से 45,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जुटाई है।
फ्रंटलाइन कैपिटल सर्विसेस, विजमार्केट्स एनालिटिक्स, यूनीफाई कैपिटल, अलकेमी कैपिटल मैनेजमेंट और हीलिओस कैपिटल मैनेजमेंट भी म्यूचुअल फंड कारोबार में प्रवेश करने की योजना बना रही हैं।
आईपीओ से प्राप्त राशि 2,015.81 करोड़ रुपये का उपयोग एयरलाइन कर्ज के भुगतान में करेगी। इसके साथ ही एयरलाइंस इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन के बकाये को भी चुकायेगी
सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त को सिक्यूरिटीज अपीलीय न्यायाधिकरण के कपूर पर लगाए गए एक करोड़ रुपये के जुर्माने पर रोक लगा दी।
अक्टूबर, 2020 में सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों से फॉरेंसिक ऑडिट शुरू करने की जानकारी का खुलासा शेयर बाजारों से करने को कहा था।
फार्मा सेक्टर की कंपनी मेडप्लस हेल्थ के अलावा स्टरलाइट पावर, लैटेंट व्यू एनॉलिटिक्स, सीएमएस इन्फो सिस्टम्स, पारादीप फॉस्फेट्स, सैफायर फूड्स ने भी हाल ही में आईपीओ के लिये अर्जी दी है।
नियामक ने प्रवर्तकों के अलावा अन्य व्यक्तियों द्वारा धारित प्री-आईपीओ सिक्यूरिटीज के लिए न्यूनतम लॉक-इन की अवधि को अलॉटमेंट की तारीख से छह माह कर दिया है।
सेबी के आदेश के बाद अब NCDEX पर कोई भी अगला वायदा सौदा लॉन्च नहीं होगा, हालांकि अगस्त, सितंबर और अक्तूबर वायदा की एक्सपायरी तक इनमें कारोबार होता रहेगा।
लैटेंट व्यू एनॉलिटिक्स, सीएमएस इन्फो सिस्टम्स के साथ साथ पारादीप फॉस्फेट्स, सैफायर फूड्स, केवेंटर एग्रो, नायका, अडाणी विल्मर और पीबी फिनटेक भी सेबी के पास आईपीओ के लिये आवेदन कर चुकी हैं।
बिक्री पेशकश के तहत जुआरी मैरोक फॉस्फेट्स प्राइवेट लिमिटेड (जेडएमपीपीएल) 75,46,800 शेयरों की पेशकश करेगी जबकि भारत सरकार 11,24,89,000 इक्विटी शेयरों की पेशकश करेगी।
भारत में इनसाइडर ट्रेडिंग पर बैन है। लेकिन इसके बावजूद जी एंटरटेनमेंट में एक बड़ा मामला सामने आया है। अब सेबी ने बड़ा कदम उठाते हुए 15 इकाइयों पर बैन लगाया है।
केएफसी और पिज्जा हट चलाने वाली सैफायर फूड्स इंडिया लिमिटेड के आवेदन से पहले हाल ही में खाद्य एवं बेवरेज क्षेत्र की कंपनी केवेंटर एग्रो ने आईपीओ के लिये आवेदन किये हैं।
बीते हफ्ते देवयानी इंटरनेशनल के आईपीओ को इश्यू के अंतिम दिन 116.71 गुना और विंडलास बायोटेक के आईपीओ को 22.46 गुना सब्सक्रिप्शन मिला है।
संपत्ति प्रबंधन कंपनी ने सेबी के पास अप्रैल में आईपीओ के लिए दस्तावेज जमा कराए थे। इस पर सेबी की टिप्पणी पांच अगस्त को मिली है।
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने शुक्रवार को नये जमाने की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी युक्त कंपनियों के लिये स्वेट इक्विटी नियमों में ढील और विभिन्न खुलासा नियमों समेत कई उपायों की घोषणा की।
केरल की यह कंपनी मारुति सुजुकी, होंडा और जेएलआर के यात्री वाहन डीलरशिप तथा टाटा मोटर्स के वाणिज्यिक वाहनों की डीलरशिप का संचालन करती है।
सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2012 को सुनाए अपने फैसले में सहारा समूह की दोनों कंपनियों को निवेशकों से जुटाए गए धन को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाने का आदेश दिया था।
जिन गैर-अनुसूचित भुगतान बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से पहले से अनुमति है, वे निर्गम के लिये बैंकर (बैंकर टू इश्यू-बीटीआई) के रूप में काम करने के लिये पात्र होंगे।
तरजीह आवंटन के बाद उनकी हिस्सेदारी में यह बदलाव नियमों के तहत तय सीमा के भीतर है और इसके लिए उन्हें किसी तरह का खुलासा करने की आवश्यकता नहीं है।
खाद्य तेल कंपनी अडानी विल्मर लि. ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिये 4,500 करोड़ रुपये जुटाने के लिए बाजार नियामक सेबी के पास दस्तावेज जमा करा दिए हैं।
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