सैलरी स्लिप सैलरी स्लिप में दो चीजें होती हैं- एक इनहैंड सैलरी और दूसरी डिडक्शन पार्ट। दोनों को मिलाकर आपकी मासिक सीटीसी यानी (कॉस्ट टू कंपनी) बनती है।
सैलरी स्लिप (Salary Slip) की मदद से ये अंदाजा लग पाता है कि किसी व्यक्ति की वास्तविक सैलरी कितनी है। अगर आप एक प्राइवेट सेक्टर (Private Sector) में काम करने वाले कर्मचारी हैं तो आपको नौकरी बदलते वक्त भी सैलरी स्लिप की जरूरत पड़ती है।
केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की सिफारिश के लिए गठित सातवां वेतन आयोग 19 नवंबर को अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपेगा।
हर महीने सैलरी के साथ साथ नियोक्ता से सैलरी स्लिप लेना न भूलें। जानिए क्यों जरूरी है यह डॉक्यूमेंट।
लेटेस्ट न्यूज़