रूस अब भी भारत के लिए सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। हालांकि, नवंबर में बड़ी गिरावट आई है। यह जून, 2022 के बाद का सबसे निचला आंकड़ा है।
मैक्सिम वी.कोजलोव ने कहा कि रूस और भारत 2030 तक महत्वाकांक्षी 100 अरब डॉलर के व्यापार लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिसे सहयोग और विविध व्यापार अवसरों के विस्तार से बल मिलेगा।
विदेश मंत्री ने कहा कि आज हमारा द्विपक्षीय व्यापार 66 बिलियन डॉलर है। इससे 2030 तक 100 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य तर्कसंगत है। व्यापार संतुलन को तत्काल सुधारने की आवश्यकता है क्योंकि यह बहुत एकतरफा है।
इससे पहले बुधवार को अमेरिका ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध को बढ़ावा देने के लिए लगभग 400 संस्थाओं और व्यक्तियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी।
यूक्रेन में संघर्ष के चलते साल 2022 में पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद भारत रूसी तेल का प्रमुख आयातक बन गया। रूस और भारत के बीच रूबल और रुपये में लेनदेन सुचारू रूप से चल रहा है।
Russian oil import : भारत ने जुलाई में रूसी क्रूड ऑयल आयात करने के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। भारत ने जुलाई में रिकॉर्ड 2.07 मिलियन बैरल प्रति दिन रूसी तेल खरीदा है।
जुलाई में भारत के कुल आयात में रूसी कच्चे तेल का रिकॉर्ड 44 प्रतिशत हिस्सा रहा। यह बढ़कर रिकॉर्ड 2.07 मिलियन बैरल प्रति दिन हो गया। यूक्रेन के खिलाफ युद्ध शुरू करने के बाद से रूस के साथ भारत का व्यापार बढ़ा है।
आर. सेल्वम ने कहा कि लेदर के कपड़े, सामान और जूते जैसे सेक्टरों में एक्सपोर्ट के बड़े मौके हैं। हालांकि, रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों से रूस में पेमेंट संबंधी समस्याएं हैं, लेकिन रुपये में कारोबार करने वाले एक्सपोर्टर माल भेज सकते हैं। लेदर, लेदर के सामानों और जूते का निर्यात 2022-23 में 4.48
सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) ने एक रिपोर्ट में कहा कि चीन ने रूस के कच्चे तेल निर्यात का 47 प्रतिशत खरीदा, उसके बाद भारत (37 प्रतिशत), यूरोपीय संघ (सात प्रतिशत) और तुर्किये (छह प्रतिशत) रहा।
मात्रा के लिहाज से वित्त वर्ष 2022 के मुकाबले रूस से आयातित कच्चे पेट्रोलियम का हिस्सा वित्त वर्ष 2024 के 11 महीनों में 36 प्रतिशत हो गया, जबकि पश्चिम एशियाई देशों (सऊदी अरब, यूएई और कुवैत) से आयातित हिस्सा 34 प्रतिशत से घटकर 23 प्रतिशत हो गया।
फिनलैंड स्थित रिसर्च सेंटर ‘सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत रूस से आयातित कच्चे तेल को रिफाइन कर जी-7 के देशों और यूरोपीय संघ और ऑस्ट्रेलिया को एक्सपोर्ट कर रहा है।
रूस की ओर से भारतीयों के लिए रूसी बैंकों में खाता खोलने के नियमों को आसान बना दिया है। इससे उन टूरिस्ट और छात्रों को फायदा होगा जो कि रूस जाना चाहते हैं।
युद्ध के चलते अमेरिका और यूरोप के प्रतिबंध झेल रहा रूस भारत में मोटा पैसा झोंक रहा है। रूस भारत सरकार के जी सैक में जोरदार निवेश कर रहा है
मेटा की दो अन्य एप फेसबुक और इंस्टाग्राम पर रूस ने प्रतिबंधित लगाया हुआ हैं। रूसी सरकार ने ठीक इसी तरीके से ट्विटर और गूगल की कंपनी अल्फाबेट पर भी जुर्माना लगाया था।
भारत के आयात में रूस की हिस्सेदारी 34 प्रतिशत हो गई है। मार्च में भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीद इराक से दोगुना रही है। इस दौरान इराक से कच्चे तेल का आयात 8.1 लाख बैरल प्रतिदिन से अधिक रहा है।
यह स्थिति महीने भर भी चल सकती है। टमाटर, मिर्च या शिमला मिर्च, खीरा, ब्रोकली, फूलगोभी और रसभरी का उत्पादन सीमित रह गया है। इससे एक ग्राहक के लिए खरीद सीमा तय की गई है।
दिसंबर में उसने भारत को प्रतिदिन 11.9 लाख बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति की। इससे पहले नवंबर में रूस से भारत का आयात 9,09,403 बैरल प्रतिदिन था। अक्टूबर, 2022 में यह 9,35,556 बैरल प्रतिदिन था।
अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इन प्रतिबंधों से रूसी तेल की पहुंच वैश्विक बाजार से कितनी दूर हो सकती है।
दोनों देशों के बीच कृषि वस्तुओं का व्यापार दोगुना हो गया है। वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में रूस और भारत के बीच व्यापार कारोबार 18.2 अरब डॉलर से अधिक हो गया है।
सखालिन-1 ओवीएल के लिए काफी फायदेमंद है और इस परियोजना के बिना कंपनी घाटे में चल रही इकाई होगी। रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के बाद एक्सॉन मोबिल कॉर्प ने परियोजना से बाहर निकलने का फैसला किया था।
लेटेस्ट न्यूज़