कृषि श्रमिकों (सीपीआई-एएल) और ग्रामीण मजदूरों (सीपीआई-आरएल) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में अगस्त 2024 में 7-7 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई।
मई 2024 में देश के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने जानकारी दी थी कि मात्रात्मक रूप से, पूरे देश में दक्षिण पश्चिम मानसून मौसमी वर्षा ±4 प्रतिशत की मॉडल त्रुटि के साथ लंबी अवधि के औसत (एलपीए) का 106 प्रतिशत होने की संभावना है।
पीएम मोदी ने लगभग 20 अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों से पांच-पांच मिनट तक बात की। इस बात की काफी उम्मीद की जा रही है कि इनके लिए बजट में कुछ खास घोषणाएं की जा सकती हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण बाजार में साल 2024 में पुनरुत्थान होने की संभावना है। जहां शहरी क्षेत्र के तनाव में रहने की संभावना है, वहीं ग्रामीण क्षेत्र साल की दूसरी तिमाही में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।
रूरल बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स 2021 के मुकाबले 2022 में 9.6 अंक बढ़कर 73.5 पर पहुंच गया। इस इंडेक्स से ग्रामीण व्यापार रुझान के परिदृश्य की जानकारी मिलती है। यानी, कारोबारी परिदृश्य में सुधार हुआ है।
आरंभिक सार्जनिक निर्गम (आईपीओ) लाने के लिए उपयुक्त बैंक की पहचान करने की जिम्मेदारी इन ग्रामीण बैंकों के प्रायोजक बैंकों पर छोड़ दी गई है।
द/नज फाउंडेशन का मिशन गरीबी उन्मूलन है और ‘सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट’ ग्रामीण भारत में आजीविका में सुधार पर केंद्रित है।
कृषि श्रमिकों के मामले में सूचकांक में 16 राज्यों में एक से लेकर 17 अंक की वृद्धि हुई जबकि चार राज्यों में एक से चार अंक की गिरावट भी आई है।
कृषि मजदूरों के लिए महंगाई दर बढ़कर 2.67 प्रतिशत पर पहुंच गई, जो कि जनवरी के महीने में 2.17 प्रतिशत पर थी। वहीं ग्रामीण मजदूरों के लिए खुदरा महंगाई दर बढ़कर 2.76 प्रतिशत हो गई है , जो कि इससे पिछले महीने में 2.35 प्रतिशत पर थी।
रिपोर्ट में शरदकालीन खरीफ आय में 2020-21 के दौरान वृद्धि के अपने अनुमान को 9.4 प्रतिशत से घटाकर 7.4 प्रतिशत कर दिया है। हालांकि ग्रीष्मकालीन रबी आय की वृद्धि की दर के अनुमान को 2020 के 8.7 प्रतिशत से बढ़ाकर 2021 में 10.4 प्रतिशत कर दिया है।
दिसंबर के दौरान कृषि श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई दर घटकर 3.25 प्रतिशत पर आ गई है। वहीं ग्रामीण श्रमिकों के लिए महंगाई दर 3.34 प्रतिशत रह गई। नवंबर में ये महंगाई दर 6 प्रतिशत और 5.86 प्रतिशत था।
एमएसएमई मंत्रालय ने अगले दो वर्षों में ग्रामीण उद्योग के कारोबार को 80,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर पांच लाख करोड़ रुपये करने का फैसला किया है। उन्होंने कहा कि जैविक ईंधन, बायोडीजल, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जैविक खेती जैसे कई विकल्प ग्रामीण क्षेत्रों में मौजूद हैं।
आरआरबी के पूंजी आधार को मजबूत करने तथा इस मुश्किल समय में कृषि वित्त में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के मद्देनजर केंद्र की ओर से यह कदम उठाया गया है।
कृषि श्रमिकों के मामले में सीपीआई में सर्वाधिक 23 अंक की वृद्धि हिमाचल प्रदेश में दर्ज की गयी। वहीं ग्रामीण कामगारों के संदर्भ में जम्मू कश्मीर में सर्वाधिक 20 अंक की वृद्धि हुई। इस वृद्धि का कारण मुख्य रूप से गेहूं आटा, दाल, सरसों तेल, दूध, सब्जी, फलों के दाम आदि में आई बढ़ोतरी है।
बेहतर मॉनसून की उम्मीद और शहरों के मुकाबले कोरोना संकट के कम असर से ग्रामीण इलाकों में बेहतर रही बिक्री
50 हजार करोड़ रुपए की लागत से शुरू की जा रही इस योजना के तहत कामगारों को 25 प्रकार के काम दिए जाएंगे।
देश के किसानों को अब वाजिब दाम नहीं मिलने के कारण सड़कों पर टमाटर फेंकने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि खराब होने वाले कृषि उत्पादों के परिवहन के लिए सरकार जल्द ही किसान रेल चलाने चलाने जा रही है।
मोदी सरकार इस समय जिस योजना पर पूरे जोर-शोर से काम कर रही है उससे अगले कुछ महीनों में देश के 11.5 करोड़ किसान परिवारों से सीधा संपर्क किया जा सकेगा।
देश में स्वास्थ्य सेवाओं पर बढ़ते खर्च के बावजूद जानकारी के अभाव में 85 फीसदी ग्रामीण आबादी स्वास्थ्य बीमा कवर से महरूम है। यह बात हालिया एक रिपोर्ट में कही गई है।
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट के हालिया आर्थिक पूर्वानुमान में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) के फरवरी 2019 में 3 से 3.20 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान व्यक्त किया गया।
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