केंद्र सरकार जुलाई से शुरू हो रहे फसल वर्ष 2017-18 के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ाने पर विचार कर रही है। किसानों को 1550 रुपए का भाव मिलेगा।
पासवान ने कहा कि राज्य सरकारों को राशन की दुकानों पर यह दर्शाना चाहिए कि खाद्यान्न पर केंद्र और राज्यों द्वारा कितनी-कितनी सब्सिडी दी जा रही है।
सरकार ने खाद्यान्न उत्पादन को लेकर अपना दूसरा अग्रीम अनुमान जारी कर दिया है। 2016-17 के दौरान देश में रिकॉर्ड 27.198 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन होगा।
सरकार ने कहा कि उसकी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सब्सिडीप्राप्त खाद्यान्न के लिए आधार कार्ड को आवश्यक बनाने की योजना है।
सरकार ने अक्टूबर से शुरू होने वाले मार्केटिंग वर्ष 2016-17 के लिए 3.3 करोड़ टन चावल खरीद का लक्ष्य रखा है।
ईरान को उच्च गुणवत्ता वाले बासमती चावल के निर्यात में 1000 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले की जांच अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग करेगा।
दस राज्यों में सूखे के कारण देश का खाद्यान उत्पादन 2015-16 में 25.22 करोड़ टन के स्तर पर स्थिर रह सकता है। वहीं दलहन के उत्पादन में गिरावट आ सकती है।
मार्च में थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर शून्य से 0.85 फीसदी प्रतिशत नीचे रही, जो कि फरवरी में शून्य से 0.91 प्रतिशत कम थी।
फरवरी में थोक महंगाई दर -0.9 फीसदी पर स्थिर रही। यह लगातार 16वां महीना जब थोक महंगाई दर शून्य के नीचे रही है। जनवरी में महंगाई दर शून्य से 0.90% नीचे थी।
थोक महंगाई दर में मामूली गिरावट देखने को मिली है। वाणिज्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जनवरी में थोक महंगाई दर शून्य से 0.90 फीसदी नीचे रही
दिसबंर में थोक महंगाई दर में बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस दौरान महंगाई दर -1.99 फीसदी से बढ़कर -0.73 फीसदी रही। इस दौरान चावल, सब्जियों, फल, दूध के दाम बढ़े हैं।
इंडोनेशिया ने भारतीय चावल, दवाओं तथा गोमांस के लिए अपना बाजार खोलने का फैसला किया है। यह एक बड़ा कदम है।
नवंबर का महीना आयात-निर्यात के लिहाज से सरकार के लिए राहत और आफत दोनों लेकर आया है। पिछले महीने निर्यात में 24.43 फीसदी घटकर 20.01 अरब डॉलर रहा।
महंगाई से आम आदमी का पीछा छूटता नजर नहीं आ रहा है। पहले, टमाटर, फिर प्याज, उसके बाद दाल और अब चावल की कीमतें आसमान छू सकती हैं।
सरकार ने खरीफ सीजन 2015-16 के लिए 300 लाख टन चावल खरीद (धान) का लक्ष्य रखा है। जिसमें से 69 लाख टन की खरीद पूर्वोत्तर के पांच राज्यों से की जाएगी।
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