प्रतिबंध के बावजूद सरकार मालदीव, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और अफ्रीकी देशों जैसे मित्र देशों को निर्यात की अनुमति दे रही थी
काला नमक गैर-बासमती चावल की एक किस्म है, जिसका एक्सपोर्ट (निर्यात) प्रतिबंधित है। इसे बेहतर पोषण मूल्य के कारण जाना जाता है। काला नमक चावल अपनी गुणवत्ता विशेषताओं के कारण एक बेहतर विकल्प माना जाता है।
वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 4.8 अरब डॉलर के बासमती चावल का निर्यात किया था। मात्रा में यह निर्यात 45.6 लाख टन था।
Fear of Global Inflation: भारत सरकार ने हाल ही में देश में अस्थिर खुदरा कीमतों को स्थिर करने के लिए गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। इससे ग्लोबल महंगाई बढ़ सकता है।
India Ban Export: भारत ने पिछले साल 10.3 मिलियन टन गैर-बासमती सफेद चावल का निर्यात किया और वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं के पास इस अंतर को भरने की अतिरिक्त क्षमता नहीं थी।
भारत में चावल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने यह बैन लगाया है। पिछले दस दिन में देशभर में चावल की कीमत में 20 फीसदी तेजी आई है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गोबिंदभोग किस्त के चावल पर शुल्क घटाने का अनुरोध किया है। ममता के अनुसार निर्यात पर शुल्क लगने से कारोबारियों को नुकसान हो रहा है।
सरकार ने खुदरा दाम को काबू में रखने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के इरादे से टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
Rice Production: देश में केंद्र ने शुक्रवार से चावल निर्यात (Rice Export) पर प्रतिबंध लगा दिया है और कमोडिटी के विभिन्न ग्रेडों पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क भी लगाया है।
Rice Export Ban: गैर-बासमती चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत सीमा शुल्क लगाने के बाद सरकार ने घरेलू उपलब्धता बढ़ाने के उद्देश्य से टुकड़ा चावल (Rice) के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक है।
मंत्रालय भारत से तीन लाख टन और म्यामां से एक लाख टन चावल आयात करने के लिए कदम उठा रहा है।
भारत की चावल निर्यात क्षमता को बढ़ावा देने के लिए ’लाल चावल’ की पहली खेप को आज संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए रवाना कर दिया गया। 'लाल चावल' असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में उगाया जाता है, बिना किसी रासायनिक उर्वरक के उपयोग के।
एपीडा के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 के पहले 9 महीने यानि अप्रैल से दिसंबर 2020 के दौरान देश से 115.97 लाख टन चावल एक्सपोर्ट हुआ है जबकि पिछले साल इस दौरान सिर्फ 64.30 लाख टन चावल का निर्यात हो पाया था।
भारत का पूर्वी पड़ोसी देश बांग्लादेश इस साल 1.5 लाख मीट्रिक टन चावल हमारे देश से आयात करेगा।
पिछले दो महीनों में, चीन ने दक्षिण भारत से लगभग 5,000 टन टुकड़े वाले गैर-बासमती चावल के आयात के लिए ऑर्डर दिए हैं।
ईरान से भुगतान की समस्या के कारण भारत के बासमती चावल निर्यात पर इस साल असर पड़ा है।
सऊदी अरब को होने वाले चावल निर्यात में 4 प्रतिशत, जबकि इराक को 10 प्रतिशत और अमेरिका को होने वाले चावल निर्यात में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ने से भारत के बासमती चावल और चाय के निर्यात प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है।
अफ्रीकी देश गैर-बासमती चावल के लिए भारत के सबसे बड़े बाजार रहे हैं, लेकिन इन देशों में चीन का चावल पहुंचने से भारत के सामने नया प्रतिस्पर्धी खड़ी हो गई है।
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