राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़े बताते हैं कि कि फूड बास्केट में मुद्रास्फीति सितंबर में बढ़कर 9. 24 प्रतिशत हो गई, जो अगस्त में 5. 66 प्रतिशत थी। एक साल पहले महीने में 6. 62 प्रतिशत थी।
कृषि श्रमिकों (सीपीआई-एएल) और ग्रामीण मजदूरों (सीपीआई-आरएल) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में अगस्त 2024 में 7-7 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई।
अगस्त, 2024 में लगातार दूसरे महीने खुदरा महंगाई दर काबू में रही। अगस्त में खुदरा महंगाई दर 3.65 फीसदी रही।
जुलाई में होलसेल प्राइस इंडेक्स में दर्ज की गई गिरावट इस महीने के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों के अनुरूप रही। इस हफ्ते की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 5 साल के निचले स्तर 3.54 प्रतिशत पर आ गई।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति इस साल जून में 5.08 प्रतिशत थी। जबकि बीते साल जुलाई में यह 7.44 प्रतिशत थी।
Retail inflation : आरबीआई नीतिगत दरों पर फैसला करते समय खुदरा मुद्रास्फीति को ही मुख्य तौर पर ध्यान में रखता है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया है।
आपको बता दें कि खुदरा मुद्रास्फीति खुदरा अप्रैल में मामूली घटकर 4.83 प्रतिशत पर रही। मार्च में यह 4.85 प्रतिशत के स्तर पर थी।
सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति दर का आंकड़ा जारी कर दिया है, जो पिछले 9 महीने के न्यूनतम स्तर पर है। मार्च में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर 4.85 प्रतिशत रही है, जो पिछले साल जून के 4.81 प्रतिशत के बाद सबसे कम है।
December CPI: दिसंबर में खुदरा महंगाई दर में इजाफा हुआ है और यह चार महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। महंगाई में तेजी का कारण खाद्य वस्तुओं की कीमत में इजाफा होना है।
महंगाई में जरूर कमी आई है लेकिन अब भी यह आरबीआई के दायरे के बाहर है। आरबीआई का मुद्रास्फीति लक्ष्य 4+/- 2 प्रतिशत है।
Inflation Tomato: देश में महंगाई तेजी से बढ़ रही है। आम आदमी की थाली से सब्जी और जेब से पैसे दोनों गायब हो रहे हैं। अब इस आंकड़े ने एक नई चिंता पैदा कर दी है।
Rbi Repo Rate: देश की आम जनता पर एक बार फिर महंगाई की मार पड़ने जा रही है। इस बार RBI के रेपो रेट की बैठक में कुछ बड़ा फैसला देखने को मिल सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वित्त वर्ष 2023-24 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है।
सोमवार को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, खुदरा महंगाई जनवरी में बढ़कर तीन महीने के उच्च स्तर 6.52% पर पहुंच गई। दिसंबर 2022 में खुदरा महंगाई दर 5.72 फीसदी रही थी।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर, 2022 में 5.88 प्रतिशत और दिसंबर, 2021 में 5.66 प्रतिशत थी।
खुदरा महंगाई में गिरावट से रिजर्व बैंक पर ब्याज दर में बढ़ोतरी का दबाब कम होगा। इससे होम, कार लोन समेत दूसरे लोन की ईएमआई बढ़ने की रफ्तार धीमी।
खाद्य मुद्रास्फीति की दर इस साल अगस्त में 6.46 प्रतिशत तथा इससे पिछले वर्ष के इसी महीने में 2.26 प्रतिशत की तुलना में सितंबर, 2022 में 7.76 प्रतिशत रही।
बुधवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई सितंबर में 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई। जबकि सितंबर 2021 में 4.35 प्रतिशत थी।
जून में खाद्य उत्पादों की मुद्रास्फीति एक महीने पहले के 7.97 प्रतिशत की तुलना में घटकर 7.75 प्रतिशत रही। इस तरह खाद्य उत्पादों की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई इस साल मार्च में 6.95 फीसदी और अप्रैल, 2021 में 4.23 प्रतिशत थी।
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