Vodafone-Idea के बीच विलय की डील एक महीने के अंदर फाइनल हो जाने की संभावना है। अगर सूत्रों की माने तों यह डील 25 फरवरी तक होने की पूरी उम्मीद है।
भारत में ई-कॉमर्स बाजार का आकार 2021 तक 50 से 55 अरब डॉलर हो जाने का अनुमान है, जो मौजूदा समय में 6 से 8 अरब डॉलर का है।
नोमूरा का कहना है कि भारत में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अगले तीन माह तक और बढ़ेगी। वर्ष 2017 में थोक महंगाई की औसत दर 4.4 प्रतिशत रहेगी।
प्रोपटाइगर की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार के नोटबंदी के बाद नवंबर-दिसंबर 2016 की अवधि में देश के 9 शहरों में मकानों की औसत बिक्री में 40% की गिरावट आई है।
वोडाफोन ने कई महीनों के अंदेशे के बाद सोमवार को आदित्य विक्रम बिड़ला समूह की कंपनी आयडिया सेलुलर के साथ विलय पर चर्चा की पुष्टि की है।
अगर आयडिया और वोडाफोन इंडिया का विलय होता है तो यह मिलकर देश की सबसे बड़ी टेलीकॉम कंपनी बन जाएगी। इसके अलावा यह टेलीकॉम इंडस्ट्री का सबसे बड़ा विलय भी होगा।
वर्ष 2016 में दिल्ली-NCR में ऑफिस को किराए पर लेने यानि ऑफिस लीजिंग में आठ प्रतिशत की कमी आई है जिसकी मुख्य वजह आपूर्ति कम रहना है।
ब्रिटिश अखबार द टेलीग्राफ में छपी एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वोडाफोन की भारतीय इकाई का विलय किसी दूसरी टेलीकॉम कंपनी के साथ हो सकता है।
अब नहीं होगी कैश की किल्लत, नई जारी की गई करंसी की कमी को देखते हुए नासिक करंसी नोट प्रेस ने रोज छापे जाने वाले 500 रुपए के नए नोटों की संख्या तीन गुना की।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने स्पष्ट किया है कि कारोबारियों और व्यापारियों को वस्तु एवं सेवाओं की बिक्री पर दो लाख रुपए एकल लेनेदेन की जानकारी देनी होगी।
एक ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के बैंकिंग सिस्टम को अगले तीन साल में 1.2 लाख करोड़ रुपए या 18 अरब डॉलर की अतिरिक्त पूंजी की जरूरत होगी।
‘द मोबाइल इकोनॉमी: इंडिया 2016’ रिपोर्ट में के अनुसार भारत में 2020 तक मोबाइल, ब्राडबैंड और कनेक्टिविटी के ग्राहकों की कुल संख्या एक अरब हो की उम्मीद है।
Online Sale में Amazon और Flipkart में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा रही। एक रिपोर्ट के अनुसार, Amazon ने Flipkart के मुकाबले कम कीमत पर Smartphones ऑफर किए।
विश्वबैंक की बुधवार को जारी हुई रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑटोमेशन से भारत में 69 फीसदी और चीन में 77 फीसदी नौकरियों जा सकती है।
World Bank की एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2013 में विश्व भर में गरीबी की रेखा से नीचे रहने वालों की सबसे अधिक संख्या भारत में थी।
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