यह मामला मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के नियंत्रण वाली एक कंपनी से जुड़ा बताया जा रहा है, जिसने भारत में गैस पाइपलाइन परियोजना का निर्माण किया है।
इस सौदे के बाद रिलायंस की कंपनी में करीब 87 प्रतिशत, जबकि शेष हिस्सेदारी हैप्टिक संस्थापकों और कर्मचारियों के पास होगी।
फरवरी माह में 3.61 एमबीपीएस की स्पीड के साथ रिलयांस जियो गीगाफाइबर ने एयरटेल, स्पेक्ट्रानेट और 7 स्टार डिजिटल सहित सभी को पीछे छोड़ दिया है।
बीएसई में कंपनी का बाजार मूल्यांकन 18,083.94 करोड़ रुपए बढ़कर 8,82,060.94 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। इस प्रकार, कंपनी का बाजार पूंजीकरण 9 लाख करोड़ रुपए से केवल 17,939.06 करोड़ रुपए कम है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सौदा करीब 150 करोड़ रुपए में होने का अनुमान है। इस सौदे से रिलायंस रिटेल की मौजूदगी मजबूत होगी।
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शुक्रवार को कहा कि उसने वेनेजुएला के खिलाफ लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं किया है।
मोबाइल ग्राहकों की संख्या जनवरी में 118 करोड़ हो गई, जो दिसंबर में 117 करोड़ थी।
पिछले साल, आरकॉम ने अपने 46,000 करोड़ रुपए के कर्ज को कम करने के लिए 122.4 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम और 43,000 टेलीकॉम टावर्स को बेचने के लिए रिलायंस जियो के साथ एक करार किया था।
कंपनी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय की गई मंगलवार तक की समयसीमा के भीतर यह भुगतान करना था।
एनएमसेज रिलायंस इंडस्ट्रीज चेयरमैन मुकेश अंबानी, जय कॉर्प इंडिया, स्किल इंफ्रास्ट्रक्चर लि. तथा सिटी एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (सिडको) द्वारा प्रवर्तित है।
अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली कंपनी रिलायंस कैपिटल ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि वह अगले तीन से चार महीने में कुल कर्ज 50 से 60 प्रतिशत कम कर लेगी।
कर्ज के बोझ तले दबी रिलायंस कम्युनिकेशंस का 21.5 करोड़ रुपए का बकाया चुकाया जाना अभी बाकी है।
जियो ने 2016 में फ्री वॉइस कॉल्स और सस्ते डाटा की पेशकश कर भारतीय टेलीकॉम सेक्टर में तबाही मचा दी थी।
रीड ने कहा कि भारत में वोडाफोन का कारोबार बेहद बुरे दौर से गुजरा है। लेकिन अब कंपनी की स्थिति ठीक है और वह नेटवर्क पर निवेश करने की योजना पर काम कर रही है।
सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि रिलायंस पावर की पूरी याचिका छलकपट वाली लगती है और यह उसकी ओर से अदालत को भ्रमित करने का प्रयास है।
कंपनी 118 करोड़ रुपए पहले ही शीर्ष अदालत के पास जमा कर चुकी है।
दिसंबर में लैंडलाइन कनेक्शनों की संख्या घटकर 2.18 करोड़ पर आ गई। नवंबर में यह आंकड़ा 2.19 करोड़ था।
अपलोड स्पीड के मामले में आइडिया नंबर एक रही। कंपनी की औसत अपलोड स्पीड, दिसंबर महीने के 5.3 एमबीपीएस मुकाबले बढ़कर जनवरी में 5.8 एमबीपीएस हो गई।
रिलायंस फाउंडेशन रिलायंस इंडस्ट्रीज की परोपकारी इकाई है।
एयरटेल की उपलब्धता 90 फीसदी, वोडाफोन की 84.6 फीसदी और आइडिया की 82.8 फीसदी रही।
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