Recession: मंदी ने अब धीरे-धीरे अपना विकराल रूप लेना शुरू कर दिया है। हजारों की संख्या में कंपनियां अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों को निकाल रही हैं। कुछ एक्सपर्टRecession: मंदी ने अब धीरे-धीरे अपना विकराल रूप लेना शुरू कर दिया आने वाले समय को और खराब बता रहे हैं। आइए जानते हैं कि भारत पर इसका क्या असर पड़ रहा है?
आइजेक ने कहा कि भले ही अभी भारत की विकास दर 8 फीसदी से कम हो गई है लेकिन लंबी अवधि में इसका असर नहीं होगा।
जब दुनिया मंदी के चपेट में होगी तब भारत विकास की नई लकीर खींच रहा होगा। दुनिया भारत को सलाम ठोकेगी, क्योंकि भारत अकेला ऐसा देश होगा जो वैश्विक मंदी के बीच पूरे एशिया में सबसे तेज तरक्की करेगा।
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने दुनिया के मंदी में जाने की बढ़ती आशंकाओं के बीच कहा कि दुनिया की मंदी से भारत अछूता रहेगा।
जल्द ही दुनिया मंदी की चपेट में आने जा रही है। इसको लेकर अमेजन के संस्थापक जेफ बेजोस ने अपना बयान दिया है और आम जनता से कुछ अपील भी की है। जानिए उनका ऐसा कहने के पीछे क्या कारण है?
Recession in India: पूरी दुनिया मंदी की संकट को लेकर परेशान चल रही है। वहां की सरकारें तरह-तरह की नीतियां बना रही है ताकि आने वाली तबाही से नागरिकों को बचाया जा सके। वर्ल्ड बैंक ने भी 2023 की शुरुआत में मंदी आने को लेकर विश्व को आगाह किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत भी इसकी चपेट में आएगा?
एक तरफ पूरी दुनिया मंदी की संकट को लेकर चिंतित है तो दूसरी तरफ विश्व की निगाहें भारत के विकास पर टिकी हुई है। कुछ लोग इस बात को लेकर कंफ्यूज हैं कि क्या भारत भी मंदी के चपेट में आने जा रहा है?
बैंक ऑफ इंग्लैंड ने ब्रिटेन को लेकर कहा है कि यहां 100 साल में सबसे लंबी मंदी आने वाली है। बैंक के अनुसार, इस गर्मी में शुरू हुई मंदी 2024 के मध्य तक चलने की उम्मीद है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति में भारत कहीं अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। जहां तक मुद्रास्फीति का सवाल है तो यह मांग से नहीं बल्कि आपूर्ति से जुड़ा हुआ पहलू है।
Global Recession 2022: विश्व बैंक के अध्यक्ष ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था खतरनाक रूप से मंदी की ओर बढ़ रही है। वैश्विक मंदी कुछ परिस्थितियों के अंतर्गत हो सकती है।’’
नरेंद्र मोदी सरकार ने सप्लाई साइड में जो सुधार किए हैं उनके कारण भारत की अर्थव्यवस्था पहले के मुकाबले कहीं अधिक लचीली और जुझारू।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक से पहले यहां एक प्रमुख नीतिगत भाषण में आईएमएफ की प्रबंध निदेशक जॉर्जिवा ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगले सप्ताह जारी होने वाले विश्व आर्थिक परिदृश्य में वैश्विक वृद्धि अनुमानों को और घटाया जाएगा।
Recession: आईडीसी (IDC) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर दो में से एक वरिष्ठ व्यावसायिक अधिकारियों (59 प्रतिशत) का मानना है कि आने वाले वर्ष में मंदी होगी।
वित्तीय हालात मापने वाले सूचकांकों में से एक लिपस्टिक सूचकांक भी है। इसकी मदद से आर्थिक मंदी का पता लगाया जाता है।
आज GDP के आंकड़े जारी होंगे और अगर दूसरी तिमाही में भी GDP ग्रोथ निगेटिव रहती है तो देश आर्थिक मंदी में फंस जाएगा
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