US recession : अमेरिकी रोजगार बाजार के बारे में बहुप्रतीक्षित अपडेट काफी कमजोर आया। वॉल स्ट्रीक के लिये यह पिछले 18 महीनों में सबसे खराब रहा पिछला सप्ताह था।
Worldwide recession probability : अमेरिका के लिए मंदी की आशंका 45 फीसदी है। जर्मनी के लिए रिसेशन प्रोबेबिलिटी 73 फीसदी है। भारत के लिए यह अनुमान 0 फीसदी है।
Startups in Recession: एक्सपर्ट का कहना है कि जब कंपनियां अपने ऑफिस एरिया में विस्तार कर रही हैं तो उम्मीद की जा रही है कि वहां काम करने के लिए लोगों को हायर भी करेंगे। इसके पीछे का एक वजह और भी है, आइए जानते हैं।
Recession Rate in India: RBI की कोशिश अब रंग लाने लगी है। पिछले मौद्रिक समिति की बैठक में रेपो रेट ना बढ़ाने का फैसला भारतीय इकोनॉमी के लिए बूस्टर डोज साबित हुआ है। महंगाई में कमी आई है।
Indian Market: कंपनियों के लिए चुनौतीपूर्ण हालात पैदा होने से अप्रैल के महीने में संगठित क्षेत्र (Organized Sector) में ऑनलाइन भर्तियों की संख्या में एक साल पहले की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है।
Recession on Jobs: भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। कोरोना महामारी के वक्त जितनी तेजी से कंपनियों ने हायरिंग की थी, उसके बाद मंदी के प्रभाव के चलते उतनी ही तेजी से छंटनी भी कर रही हैं।
IMF Recession: 6 अप्रैल को आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी कहा था कि अमेरिकी बैंक के दिवालिया होने से महंगाई पर असर पड़ा है। अब आईएमएफ ने भी मुहर लगा दी है।
Stock Market News: यह हफ्ता अमेरिका के साथ भारतीय शेयर बाजार के लिए भी ठीक नहीं दिख रहा है। अमेरिका में एक के बाद एक बैंक दिवालिया घोषित हो रहे हैं। आज क्रेडिट सुईस को लेकर भी बड़ी खबर आई है, जिसमें उसे तगड़ा नुकसान हुआ है। इसका असर कल भारतीय शेयर बाजार पर देखा जा सकता है। आइए मामला समझते हैं।
World Bank David Malpass: डेविड मलपास ने घोषणा की है कि वह अपने पद से इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने इसके पीछे की वजह भी बताई है। बता दें कि उन्होंने पहले विश्व में मंदी को लेकर आशंका व्यक्त की थी।
कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों के बाद यह पहली बार है कि अधिक कारोबारियों ने अपनी फर्मो में नौकरियों के सिकुड़ने का अनुमान लगाया है।
देश और दुनिया में बढ़ते मंदी के संकट के बीच इस रिपोर्ट ने भारतीय कारोबारियों के भीतर एक खुशी की लहर दौड़ा दी है। बाजार में भरोसा मंदी के पूर्व स्तर पर चला गया है। आर्थिक शोध संस्थान नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लॉयड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ें।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व स्तर पर विकास में मंदी के बीच भारत सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के संयुक्त प्रयासों के कारण भारत के मैक्रोइकॉनॉमिक फंडामेंटल अधिक स्थिर प्रतीत होते हैं।
पूरी दुनिया में मंदी आने जा रही है। विश्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। इस साल उसने विश्व की ग्रोथ रेट भी घटा दी है।
इस साल मंदी आने जा रही है, जिसके चपेट में दुनिया के अधिकतर देश आएंगे। IMF ने इसको लेकर चेतावनी भी दी है। भारत के लिए चिंता करने वाली बात है।
नौकरी करने वाले कई हजार लोगों के बीच एक सर्वे किया गया है, जिसमें इस बात की जानकारी सामने आई है कि आज के समय में लोग क्या सोचते हैं। इस सर्वे रिपोर्ट में कई खुलासे भी हुए हैं।
सीईबीआर के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था रैंकिंग में भारत 2037 तक पांचवें स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगा।
ये साल भी अब खत्म होने वाला है। 2022 इतिहास के पन्नों पर कुछ अच्छे तो कुछ बूरे बातों को लेकर हमेशा याद किया जाएगा, लेकिन नया साल देश और दुनिया में खुशियों की जगह कितना गम लाने जा रहा है, क्या इसके बारे में आपने कभी अंदाजा लगाया है? यहां पढ़िए डिटेल स्टोरी।
पश्चिमी देशों में मंदी ने कदम रख दिया है। इस बीच भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बेहद जरूरी बयान जारी किया है, जिसे हर उद्यमी को पढ़ना चाहिए।
भारत में जो हाल की स्थिति है, उसे देखकर ये नहीं कहा जा सकता है कि देश में मंदी आने वाली है। एक तरफ महंगाई दर कम हो रही है तो वहीं दूसरे तरफ कार की बिक्री में भी बढ़ोतरी दर्ज हुई है।
शेयरचैट के प्रवक्ता ने बताया, "एक मानक अभ्यास के रूप में, हम समय-समय पर अपनी रणनीतियों का मूल्यांकन करते हैं।
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