नौ शहर मुंबई, नवी मुंबई, ठाणे, दिल्ली-एनसीआर (दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद), बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, चेन्नई और कोलकाता हैं।
नई यूनिट्स की आपूर्ति बेंगलुरु और मुंबई में बढ़ी, लेकिन दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), चेन्नई, हैदराबाद, पुणे, कोलकाता तथा अहमदाबाद में इसमें गिरावट आई।
प्रोजेक्ट का अप्रूव्ड मैप और रेरा में रजिस्टर मैप और उसके टावर्स के नाम अलग होने से होम बायर्स को भी सही स्थिति समझने में भ्रम होता है। प्रोमोटर द्वारा रेरा के इन नवीन आदेशों का अनुपालन करने पर वर्तमान में आ रही समस्याओं का समाधान हो जाएगा।
आंकड़ों के अनुसार, 2024 की पहली तिमाही के दौरान छह प्रमुख शहरों - बेंगलुरु, दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद और पुणे में कुल कार्यालय पट्टे 1.36 करोड़ वर्ग फीट तक बढ़ने का अनुमान है।
रियल एस्टेट सलाहकार एनारॉक के जुटाए आंकड़ों के मुताबिक, 2013 और 2023 के बीच लगभग 53,000 आवास इकाइयां एक्सप्रेसवे के आसपास शुरू की गईं जिनमें से 80 प्रतिशत से अधिक इकाइयों की बिक्री पहले ही हो चुकी है।
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 15 प्रतिशत का योगदान देगा और वर्ष 2030 तक बाजार का आकार एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा।
उत्तर प्रदेश रेरा के अध्यक्ष संजय भूसरेड्डी के मुताबिक नई पहल होम बायर्स के सशक्तीकरण और इस सेक्टर में पारदर्शिता लाने के लिए की गई है।
SEBI की ओर से एसएम आरईआईटी के नियम जारी कर दिए गए हैं। इससे निवेशकों को रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश करने के अधिक मौके मिलेंगे।
गुरुग्राम का वर्ल्ड क्लास इंफ्रास्ट्रक्चर, आधुनिक हेल्थ सर्विस, प्रीमियम प्रॉपर्टी और उभरता माइक्रो मार्केट, अल्ट्रा हाई नेटवर्थ लोगों की पहली पसंद बनकर उभरा है। इसके चलते ग्रुरुग्राम में प्रीमियम प्रॉपर्टी की मांग तेजी से बढ़ी है।
बिल्डर के साथ फ्लैट बॉयर्स को भी इसका लाभ मिले। यमुना प्राधिकरण ने इसका भी रास्ता निकाल लिया है। यीडा की जिन बिल्डर परियोजना को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) और कम्प्लीशन सर्टिफिकेट (सीसी) जारी हो चुका है, उनके बॉयर्स 64.7 फीसदी अतिरिक्त मुआवजे की धनराशि प्राधिकरण में जमा कराकर रजिस्ट्री करा सकते हैं।
मध्यम वर्ग में बढ़ती समृद्धि के साथ, एक महत्वपूर्ण आबादी वर्ग ने बेहतर क्रय शक्ति और उच्च आकांक्षाएं विकसित की हैं। इन कारकों के कारण मिड रेसिडेंशियल सेगमेंट में मांग बढ़ रही है।
रिपोर्ट कहती है कि बीते दो वर्षों में मांग मजबूत बने रहने से आठ शहरों में कीमतें तेजी से बढ़ी हैं। इन आठ शहरों में अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली-एनसीआर, हैदराबाद, कोलकाता, मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन (एमएमआर) और पुणे शामिल हैं।
मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में 289 एकड़ में फैले 24 अलग-अलग भूमि सौदे हुए, जिनकी कीमत 11,222 करोड़ रुपये थी। चेन्नई में, आठ अलग-अलग सौदों में 1,220 करोड़ रुपये में 209 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया।
अथॉरिटी ने आम्रपाली समूह की पांच आवासीय परियोजनाओं में करीब 75 एकड़ जमीन के विकास की अनुमति दे दी है। कंपनी करीब 80 रेसिडेंसियल टावर बना सकेगी जिनमें 13,500 फ्लैट मौजूद होंगे।
एनारॉक ने कहा कि घरों के निर्माण का यह आंकड़ा 2017 के बाद सबसे ऊंचा है। साल 2017 में 2,04,200 घरों, 2018 में 2,46,140 घरों, 2019 में 2,98,450 घरों, 2020 में 2,14,370 घरों, 2021 में 2,78,650 घरों का निर्माण पूरा हुआ था।
नोएडा-ग्रेटर नोएडा में 24,944 करोड़ रुपये, गाजियाबाद में 4,404 करोड़ रुपये, दिल्ली में 2,610 करोड़ रुपये और फरीदाबाद में 470 करोड़ रुपये मूल्य के घरों की बिक्री पिछले साल हुई।
इसके मुताबिक, सात प्रमुख शहरों में से दिल्ली-एनसीआर में सबसे अधिक तेजी रही और यहां लक्जरी घरों की बिक्री में लगभग तीन गुना उछाल आया। इस रिपोर्ट के मुताबिक, कैलेंडर वर्ष 2023 में चार करोड़ रुपये या उससे अधिक कीमत के 12,935 घरों की बिक्री हुई जबकि साल 2022 में यह संख्या 7,395 इकाई थी।
जोशी ने कहा कि हमारे पास अफोर्डेबल हाउसिंग (सस्ते घर) की कमी है। इसके लिए केंद्र सरकार की प्राथमिकता राज्यों और शहरी स्थानीय अधिकारियों के साथ काम करना है ताकि शहरी नियोजन प्रक्रिया के तहत बड़े संख्या में सस्ते घर बनाए जा सके। इसके लिए डेवलपर्स को अपने प्रोजेक्ट में कम से कम से कम 15% या अधिक सस्ते घर बनाने चाहिए।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत अगले 5 साल में 2 करोड़ और घर बनाए जाएंगे। मिडिल क्लास को घर खरीदने या बनाने में मदद करने के लिए योजना लाई जाएगी।
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