सेबी की तरफ से छोटे और मध्यम रियल एस्टेट निवेश ट्रस्ट (रीट) सेट अप करने का फैसला लिया गया है। यह नया नियम जमीन-जायदाद के क्षेत्र के विकास को गति देने में सक्षम होगा। यह पहल खासकर इससे अपरिचित खुदरा निवेशकों के लिए फायदेमंद है।
गुरुग्राम में संपत्ति की कीमतों में अभूतपूर्व 70 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है क्योंकि जिला प्रशासन ने वर्ष 2024 के लिए नए कलेक्टर रेट प्रस्तावित किए हैं। अधिकारियों ने कहा कि प्रस्तावित दरों पर लोगों से 7 दिसंबर तक आपत्तियां मांगी गई हैं।
कोरोना महामारी के बाद देश में घरों की मांग तेजी से बढ़ी है। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु जैसे मेट्रो शहरों के अलावा छोटे शहरों में भी घरों की मांग बढ़ी है। एक जो बड़ा बदलाव आया था कि महंगे घरों की बिक्री तेजी से बढ़ी है। इससे डेवलपर्स का मुनाफा बढ़ा है।
अगर आप घर खरीदने के लिए आर्थिक और भावनात्मक रूप से तैयार नहीं हैं, तो बहुत सोचसमझकर फैसला लें। घर खरीदने के लिए डाउन पेमेंट से लेकर मासिक किस्तों (ईएमआई) और पंजीकरण की लगात का आकलन जरूर करें।
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर खतरे के निशान के पार पहुंचने के बाद जीआरएपी-3 लागू किया गया है। इसके तहत दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और गौतम बौद्ध नगर सहित पूरे दिल्ली-एनसीआर में गैर-जरूरी निर्माण कार्य, पत्थर तोड़ने और खनन पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है।
त्योहारों के दौरान अपेक्षित अच्छी डिमांड के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था की ग्रोथ बनी रहने की उम्मीद है जिससे अगले छह महीनों के दौरान क्षेत्र को गति मिलने की उम्मीद है।
फेस्टिव सीजन में रियल एस्टेट में निवेश करने के काफी सारे फायदे हैं। ये ऐसा समय होता है जब बिल्डर्स की ओर से कई नए प्रोजेक्ट्स लॉन्च किए जाते हैं और ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए डिस्काउंट दिए जाते हैं।
सोना एक ऐसा विकल्प है जो विपत्ति के समय में तुरंत काम आ सकता है। रियल एस्टेट (Real Estate) के तहत प्रॉपर्टी को कैश में बदलने में काफी समय लग सकता है।
नवरात्रि में प्रॉपर्टी की मांग तेजी से बढ़ी है। दिल्ली-एनसीआर में इस बार महंगी प्रॉपर्टी की ज्यादा मांग देखने को मिल रही है। सबसे अधिक प्रीमियम प्रॉपर्टी की मांग गुरुग्राम में है। प्रॉपर्टी सेक्टर के जानकारों का कहना है कि बेहतर लाइफस्टाइल के चलते महंगी प्रॉपर्टी की मांग तेजी से बढ़ी है।
नवरात्रि की शुरुआत के साथ रियल एस्टेट मार्केट गुलजार हो गया है। डेवलपर्स एक से बढ़कर एक ऑफर्स दे रहे हैं। ऐसे में अगर आप भी प्रॉपर्टी बुक करने जा रहे हैं तो कुछ बातों का ख्याल रखकर अच्छी डील पा सकते हैं।
दिल्ली-एनसीआर में, बिना बिकी आवास की संख्या (Unsold housing stock) 40,211 यूनिट से 7 प्रतिशत घटकर 37,356 यूनिट हो गई।
एक समय दुनिया की फैक्ट्री कहे जाना वाला चीन धीरे-धीरे गंभीर मंदी की चपेट में फंसता जा रहा है। एक के बाद एक आर्थिक आंकड़ें इसकी गवाही दे रहे हैं। वहीं, भारत बिना किसी बाधा के तेजी से आगे बढ़ रहा है। दुनियाभर के निवेशक अब भारत की ओर रुख कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि बिल्डर अब अधिक मुनाफा कमाने के लिए लक्जरी आवासीय परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। सस्ते मकानों में मुनाफे का मार्जिन भी कम रहता है। 1.5 करोड़ रुपये से अधिक कीमत वाले लक्जरी घरों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ रही है। वास्तव में पिछले पांच साल में यह तीन गुना हो गई है।
बड़ी संख्या में नए हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के आने से ऐसे बिना बिके घरों की बिक्री की रफ्तार काफी धीमी हो गई है।
कोरोना महामारी के बाद घरों की रिकॉर्ड बिक्री का सिलसिला जारी है। इसके चलते पुराने सारे रिकॉर्ड टूट रहे हैं। त्योहारी सीजन में बिक्री और बढ़ने की उम्मीद है। ऐसे में नया रिकॉर्ड बन सकता है।
अंतरिक्ष इंडिया के सीएमडी और दिग्गज रियल एस्टेट एक्सपर्ट राकेश यादव ने इंडिया टीवी को बताया कि त्योहारी सीजन शुरू हो गया है। आने वाले दिनों में नवरात्र, दशहरा, दिवाली जैसे बड़े त्योहार हैं। इसमें घर खरीदना सबसे शुभ माना जाता है। पूरे साल में घरों की कुल बिक्री में त्योहारी सीजन का योगदान करीब 25 फीसदी होता है। जिस तरह
रियल एस्टेट निवेश पर संभावित रिटर्न निर्धारित करने में लोकेशन महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। लोकेशन का चयन करने में आवश्यक सेवाओं, रेल स्टेशन, बस स्टेशन और एयरपोर्ट की दूरी, शैक्षणिक संस्थानों और अस्पताल सुविधाओं की निकटता जैसे पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए। इसके साथ ही यह ध्यान रखना चाहिए कि रियल एस्टेट निवेश लंबी अवधि
रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई भारत के सबसे बड़े आवासीय बाजारों में से एक के रूप में अपनी स्थिति बनाए हुए है, जो देश में कुल आवासीय बिक्री मूल्य में 40 प्रतिशत का योगदान देता है।
रिपोर्ट कहती है कि भारतीय रियल एस्टेट क्षेत्र का आकार वर्ष 2047 तक 12 गुना से ज्यादा होकर 5,800 अरब डॉलर होने का अनुमान है, जो पिछले साल 477 अरब डॉलर था।
रेरा के तहत परियोजनाओं (500 वर्ग मीटर से अधिक और आठ अपार्टमेंट से ऊपर) को शुरू करने से पहले उनका रेरा के तहत पंजीकरण करना अनिवार्य है।
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