भारत जैसे-जैसे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, शहर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। अनुमान है कि 2050 तक, मौजूदा आठ मेगा-सिटी के अलावा, लगभग 100 भारतीय शहरों की आबादी दस लाख से अधिक होगी।
आंकड़ों से पता चला है कि 2024 की पहली छमाही में एनसीआर में लगभग 14,630 लग्जरी यूनिट्स बेची गईं, जबकि 2019 में लगभग 1,580 यूनिट्स बिकी थीं। किफायती सेगमेंट में, 2024 की पहली छमाही में लगभग 7,730 यूनिट्स बिकीं, जबकि 2019 में लगभग 23,180 यूनिट्स बिकीं।
सर्किल रेट बढ़ने का सीधा मतलब यह है कि जो भी लोग अब गाजियाबाद में घर खरीदेंगे, उन्हें ज्यादा स्टांप ड्यूटी चुकानी होगी, जिससे प्रॉपर्टी की कुल लागत में बढ़ोतरी हो जाएगी।
एक सवाल आपके मन में यह भी हो सकता है कि 20 साल में प्रॉपर्टी की कीमत भी तो बढ़ेगी! हां बिल्कुल बढ़ेगी लेकिन वह इतना नहीं बढ़ेगी जितना आपको रिटर्न मिल जाएगा। रेंट पर रहने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आप अपनी कमाई के साथ इन्वेस्टमेंट कर पाएंगे। सिर्फ होम लोन की ईएमआई चुकाने में नहीं फंसे रहेंगे।
2024 के केंद्रीय बजट में शहरी आवास के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए एक बड़ा प्रोत्साहन है। यह निवेश शहरी परिवारों की आवासीय जरूरतों को काफी हद तक पूरा करेगा और विकास को बढ़ावा देगा।
प्रॉपर्टी बेचने से होने वाले कैपिटल गेन पर 20% टैक्स की जगह 12.5% जरूर कर दिया गया है लेकिन इंडेक्सेशन हटा दिया गया है। टैक्स के जानकारों का कहना है कि इस प्रॉपर्टी बेचने वाले पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा। यह प्रॉपर्टी में निवेश करने वालों के लिए झटका है।
अंतरिक्ष इंडिया ग्रुप के सीएमडी राकेश यादव ने कहा कि रियल एस्टेट सेक्टर के लिए यह एक अच्छा बजट है।
पिछले कुछ वर्षों से जमीनों की मांग में लगातार इजाफा हो रहा है। डेवलपर्स नए प्रोजेक्ट्स के लॉन्च के बाद आसानी से नए यूनिट्स की बिक्री कर पा रहे हैं।
बिल्डरों द्वारा अधिक प्रीमियम फ्लैट लॉन्च किए जाने के चलते अप्रैल-जून की अवधि में सात प्रमुख शहरों में किफायती अपार्टमेंट्स की नई सप्लाई, जिनकी कीमत 50 लाख रुपये से कम है, में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है।
तिमाही-दर-तिमाही आंकड़ों के हिसाब से अहमदाबाद में घरों की बिक्री अप्रैल-जून में 26 प्रतिशत घटकर 9,500 यूनिट रह गई। हालांकि दिल्ली-एनसीआर में बिक्री 10 प्रतिशत बढ़कर 10,058 यूनिट से 11,065 यूनिट हो गई।
रियल एस्टेट सेक्टर को यह भी उम्मीद है कि आयकर अधिनियम की धारा 24 के तहत होम लोन के ब्याज पर टैक्स में छूट को 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये किए जाने की उम्मीद है।
इसी तरह, एमएमआर में समीक्षाधीन अवधि के दौरान आवास की औसत कीमतें 10,610 रुपये प्रति वर्ग फुट से 48 प्रतिशत बढ़कर 15,650 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं। एनारॉक ने कहा कि निर्माण लागत में भारी बढ़ोतरी और अच्छी बिक्री के कारण कीमतों में वृद्धि हुई।
देश के आठ प्रमुख शहरों में ऑफिस की डिमांड रिकॉर्ड 3.47 करोड़ वर्ग फुट पर पहुंच गई। मजबूत आर्थिक बुनियाद और स्थिर सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण भारत का रियल एस्टेट बाजार पिछली कुछ तिमाहियों में तेजी से बढ़ा है।
सालाना आधार पर, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद में बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई है, जबकि चेन्नई और कोलकाता में मांग में गिरावट आई।
सलाहकार फर्म ने कहा कि कुल लोन बाजार में 2024-2026 के बीच भारतीय रियल एस्टेट में 14,00,000 करोड़ रुपये (170 अरब डॉलर) के वित्तपोषण के अवसर की संभावना है।
बेंगलुरु में भी घरों की बिक्री एक साल पहले की 15,088 इकाइयों से बढ़कर 15,127 इकाइयों पर पहुंचने का अनुमान है। लेकिन चेन्नई में बिक्री 4,950 इकाइयों से घटकर 4,841 इकाइयों पर आ जाने का अनुमान है।
सलाहकार ने कहा कि आध्यात्मिक पर्यटन से प्रेरित विकास के मामले में अमृतसर, अयोध्या, द्वारका, पुरी, शिरडी, तिरुपति और वाराणसी ध्यान देने योग्य शहर बनकर उभरे हैं।
प्रीमियम आवासीय संपत्तियों की बढ़ती मांग को भुनाने के लिए बिल्डर्स लग्जरी अपार्टमेंट पेश करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। लग्जरी परियोजनाओं में लाभ मार्जिन भी अधिक है।
आपके जो मित्र या पड़ोसी पहले घर खरीद चुके हैं, उनसे चर्चा करें। वे आपको बिक्री के लिए उपलब्ध घरों के बारे में जानकारी दे सकते हैं। इसके बाद सीधे घर मालिक से संपर्क करें।
2019 के आम चुनावों के बाद देश के टॉप 7 शहरों में घरों के दाम 6 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़े हैं। जून 2019 में औसत एक स्क्वायर फीट का दाम 5,600 रुपये था, जो वित्त वर्ष 2024 के अंत में बढ़कर 7,550 रुपये प्रति स्क्वायर फीट हो गया है।
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