आरबीआई गवर्नर (Shaktikanta Das) ने कहा कि हम कीमतों को कम करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। हालांकि सकल मुद्रास्फीति खाद्य कीमतों के झटकों को लेकर संवेदनशील बनी हुई है।
दरअसल ग्रीन बॉन्ड भी गवर्नमेंट की तरह होते है।बस इसमें अंतर यह होता है कि जो पैसे ग्रीन बॉन्ड में एकत्रित या निवेश किए जाते हैं उसका इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ हरित और अक्षय ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं जैसे सौर, पन बिजली और पवन ऊर्जा जैसी परियोजनाओं में ही खर्च किया जाता है।
बीते 19 मई 2023 तक चलन में मौजूद 2,000 रुपये मूल्य के कुल नोट में से 97 प्रतिशत से अधिक नोट अब वापस आ चुके हैं। इन नोटों को बदलने या बैंक खातों में जमा कराने की समय सीमा पहले 30 सितंबर थी।
RBI की ओर से एक सर्कुलर जारी किया गया है। इसमें क्रेडिट इन्फॉर्मेशन कंपनी को निर्देश दिया गया है कि जब भी कोई क्रेडिट इंस्टीट्यूशन (बैंक या एनबीएफसी) किसी व्यक्ति की क्रेडिट रिपोर्ट चेक करें तो इसकी सूचना उस व्यक्ति एसएमएस और ईमेल के जरिए भेजी जाए।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 26 अक्टूबर को जारी एक नोटिफिकेशन में फिक्स्ड डिपोजिट के नियमों में बदलाव की बात कही है।ये निर्देश नॉन रेसिडेंट (बाहरी) रुपया (एनआरई) जमा /ऑर्डिनरी नॉन रेसिडेंट (एनआरओ) जमा के लिए भी नए नियम (FD new rule) लागू होंगे।
RBI की ओर से निजी और विदेशी बैंकों को अपने प्रबंधन में कम से कम दो पूर्णकालिक निदेशकों रखने का निर्देश दिया है। केंद्रीय बैंक ने कहा इससे वर्तमान एवं उभरती चुनौतियों से निपटने में आसानी होगी।
होम और कार लोन की बढ़ी ईएमआई से जल्द राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। आरबीआई गवर्नर ने इसकी जानकारी दी है। ऐसे में जो लोग बढ़ी ईएमआई से परेशान हैं, उनको और इंतजार करना पड़ सकता है।
एसबीआई एमएफ (SBI MF) द्वारा आरबीआई को दिए गए एप्लीकेशन के संदर्भ में मंजूरी दी गई है। इस अधिग्रहण से कंपनी को बैंक में 9.99 प्रतिशत वोटिंग अधिकार भी रखने की परमिशन मिल जाएगी।
कोरोना महामारी के बाद बैंकिंग फर्जीवाड़े की घटना में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इसके चलते आरबीआई बैंकों पर सख्ती बरत रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा पर लिया गया यह एक्शन उसी दिशा में माना जा रहा है। इससे बैंक के ग्राहकों की सुरक्षा सुनिश्चत करने में मदद मिलेगी।
29 सितंबर 2023 को क्लोजिंग के समय तक 0.14 लाख करोड़ रुपये मूल्य के दो हजार रुपये के नोट (2000 rupee note) सर्कुलेशन में मौजूद थे।
नारेडको के राष्ट्रीय वाइस चेयरमैन निरंजन हीरानंदानी ने भी नीतिगत दर को यथावत रखने की सराहना की और कहा, नीतिगत दर को 6.5 प्रतिशत पर रखना आर्थिक वृद्धि में तेजी को बनाए रखते हुए मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने के महत्व को दर्शाता है। उन्होंने कहा, त्योहारों के दौरान आवास ऋण की मांग में उछाल रहने की उम्मीद है।
लंबी अवधि के लिए एफडी में निवेश करने वाले निवेशकों को अपनी जमा राशि को निवेश करने के सही समय को लेकर सबसे बड़ी दुविधा का सामना करना पड़ता है। यदि वे इसे अभी बुक करते हैं और ब्याज दरें और बढ़ जाती हैं, तो उन्हें अतिरिक्त ब्याज दर का नुकसान हो सकता है।
यह कैसे काम करता है? एक बार जब उधारकर्ता वर्ष के अंत में कुल मूलधन और ब्याज राशि का भुगतान कर देता है, तो ऋण की सीमा समाप्त हो जाती है। सीधे शब्दों में कहें तो कर्ज लेने वाला कर्ज चुका सकता है और अगले दिन फिर से कर्ज ले सकता है।
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने पिछले साल रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद बदली हुई परिस्थितियों में रेपो दर में बढ़ोतरी का सिलसिला मई, 2022 में शुरू किया था। नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी का यह सिलसिला फरवरी, 2023 तक जारी रहा। इस दौरान रेपो दर चार प्रतिशत से बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई।
रूस-यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर रिजर्व बैंक ने मई, 2022 में नीतिगत दर बढ़ाना शुरू किया था और इस साल फरवरी में यह 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। इसके बाद से लगातार पिछली तीन द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में नीतिगत दर को स्थिर रखा गया।
इक्रा लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख (वित्तीय क्षेत्र रेटिंग) कार्तिक श्रीनिवासन ने भी उम्मीद जताई कि एमपीसी नीतिगत दर को स्थिर रखेगी। उन्होंने कहा, ‘‘सितंबर के दूसरे पखवाड़े में नकदी में जो सख्ती देखी गई, वह जारी रहने की संभावना नहीं है।
रिजर्व बैंक ने शनिवार को इस बारे में नोटिफिकेशन जारी किया। इससे काफी लोगों को राहत होगी।
विश्व बैंक की एक स्टडी के मुताबिक वर्ष 2022 में वैश्विक सीमापार धन भेजने का कुल आंकड़ा 830 अरब डॉलर का था जिसमें भारत को सबसे ज्यादा धन भेजा गया था।
केंद्रीय बैंक उन लोगों के लिए विशेष छूट लेकर आ सकता है जो समय सीमा से चूक गए हैं। कुछ विदेश में थे तो कुछ की तबीयत सही नहीं थी।
रेटिंग एजेंसी इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि औसतन वस्तु व्यापार घाटा 2023-24 की पहली तिमाही के मुकाबले जुलाई-अगस्त के दौरान अधिक रहा है। इसके साथ कच्चे तेल के दाम में तेजी से कैड चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में तिमाही आधार पर बढ़कर 19-21 अरब डॉलर या जीडीपी का 2.3 प्रतिशत रह सकता है।
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