paytm payments bank news : पेटीएम वॉलेट यूजर्स 29 फरवरी तक लेनदेन जारी रख सकते हैं। ग्राहक 29 फरवरी के बाद वॉलेट में कोई पैसा नहीं जोड़ पाएंगे। इस समय 20 से अधिक बैंक और गैर-बैंकिंग संस्थाएं वॉलेट सेवा देती हैं।
आपको बता दें कि आरबीआई ने कोरोना महामारी के बाद से रेपो रेट में 250 आधार अंकों तक की बढ़ोतरी की है। वहीं, आरबीआई ने फरवरी 2023 से रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है क्योंकि मुद्रास्फीति काफी हद तक बैंक के 2% -6% लक्ष्य सीमा के भीतर रही है। ऐसे में इस बार भी उम्मीद कम है कि रेपो रेट में कोई बदलाव हो।
सूत्रों ने कहा कि ऐसे उदाहरण हैं, जहां लेनदेन का कुल मूल्य करोड़ों रुपये में है, जिससे धन शोधन की चिंताएं बढ़ रही हैं। एक विश्लेषक के मुताबिक, पेटीएम पेमेंट्स बैंक के पास करीब 35 करोड़ ई-वॉलेट हैं। इनमें से लगभग 31 करोड़ निष्क्रिय हैं, जबकि केवल लगभग चार करोड़ ही बिना किसी शेष राशि या बहुत कम शेष के साथ सक्रिय होंगे।
why rbi banned paytm payment bank : पेटीएम पेमेंट्स बैंक में करीब 35 करोड़ ई-वॉलेट हैं। इनमें से लगभग 31 करोड़ निष्क्रिय हैं, सूत्रों ने कहा कि असामान्य रूप से बड़ी संख्या में निष्क्रिय खातों का उपयोग फर्जी खातों के लिए किए जाने की आशंका है।
आरबीआई द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 26 जनवरी को समाप्त होने वाले हफ्ते में 59.1 करोड़ डॉलर का इजाफा हुआ है।
डॉलर के संदर्भ में उल्लेखित विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की घट-बढ़ का प्रभाव शामिल होता है। आरबीआई ने कहा कि आलोच्य सप्ताह में सोने का भंडार 24.2 करोड़ डॉलर घटकर 47.25 अरब डॉलर रह गया।
रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्र की अगुवाई वाली टीम द्वारा लिखे गए इस लेख में कहा गया है कि सरकार ने बढ़-चढ़कर कैपिटल एक्सपेंडिचर किया है, उसका असर दिखने लगा है। इससे निजी निवेश बढ़ना शुरू हुआ है। देश में संभावित उत्पादन में तेजी आ रही है।
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने स्विट्जरलैंड के दाबोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के एक ईवेंट के दौरान कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2024-25 में 7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है।
बैंकों, एनबीएफसी और आरबीआई से विनियमित दूसरी संस्थाओं को नए संशोधित मानदंड लागू करने के लिए तीन महीने का विस्तार देते हुए अप्रैल तक का समय दिया गया था।
आपको बता दें कि अमेरिकी नियामकों द्वारा बिटकॉइन एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) को अनुमति दी गई है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए दास ने कहा कि क्रिप्टो करेंसी के प्रति बैंक और उनका अपना विरोध नहीं बदलेगा।
अगर आरबीआई आगामी एमपीसी बैठकों में रेपो रेट नहीं घटाता है, तो ऑटो लोन महंगा होने की आशंका है। रेपो रेट में अब तक हुई 2.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी में से 1.3 प्रतिशत रिटेल ऑटो लोन में आया है। यदि इस साल नीतिगत दर में कटौती नहीं होती है, तो ऑटो लोन 1.2 प्रतिशत और महंगा हो सकता है।
रिजर्व बैंक के अनुसार स्वर्ण भंडार का मूल्य 85.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 48.33 अरब डॉलर हो गया। विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 3.8 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.36 अरब डॉलर हो गया।
भारतीय रिजर्व बैंक के नए नियमों के तहत, बैंकों को ग्राहकों को एसएमएस, लेटर या ईमेल के जरिए उनके खातों के निष्क्रिय होने की सूचना देनी होगी।
RBI की ओर से बताया गया है कि 9,330 करोड़ की वैल्यू के ही नोट आम लोगों के पास मौजूद हैं। अभी भी 2000 के नोट पूरी तरह से वैध हैं।
पहले आरबीआई ने अगस्त में ‘उचित ऋण प्रक्रिया- ऋण खातों में दंडात्मक शुल्क’ पर एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा था कि यह 1 जनवरी, 2024 से लागू होगा।
इस साल विदेशी मुद्रा भंडार में 57.634 अरब डॉलर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। डॉलर में अभिव्यक्त की जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में घट-बढ़ के प्रभावों को शामिल किया जाता है।
दास ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है। इनके बीच भारतीय अर्थव्यवस्था एक मजबूत वित्तीय प्रणाली के साथ वृहद आर्थिक मोर्चे पर मजबूती दिखा रही है। मजबूत वित्तीय प्रणाली वृद्धि को बढ़ावा दे रही है।
आधिकारिक बयान के अनुसार, रिज़र्व बैंक ने यूजर्स द्वारा विदेशी मुद्रा लेनदेन को आसान बनाने के मकसद से फेमा के तहत मौजूदा प्राधिकरण ढांचे की समीक्षा की है, और साथ ही एपी को नियंत्रित करने वाले नियामक निरीक्षण ढांचे को मजबूत किया है।
ओवरऑल मुद्रास्फीति 2023-24 की तीसरी और चौथी तिमाही में क्रमशः में 5.6 प्रतिशत और 5.2 प्रतिशत तथा 2024-25 की पहली तिमाही में 5.2 प्रतिशत अनुमानित है।
15 दिसंबर से पिछले सप्ताह में देश का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 2.816 अरब डॉलर बढ़कर 606.85 अरब डॉलर पर था। डॉलर में अभिव्यक्त की जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं में घट-बढ़ के प्रभावों को शामिल किया जाता है।
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