आपको बता दें कि आरबीआई ने पिछली पांच मौद्रिक नीति समीक्षाओं में रेपो दर में कोई बदलाव नहीं किया है। अंतिम बार फरवरी में रेपो दर को बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था। उस समय से रेपो रेट स्थिर बना हुआ है।
महंगाई का दबाव कम हुआ है, लेकिन खाद्य कीमत चिंता का कारण बनी हुई है। कृषि उत्पादन में गिरावट से मुद्रास्फीति के आंकड़ों में अतिरिक्त वृद्धि का जोखिम पैदा हो सकता है। मुद्रास्फीति पर सतर्क रहते हुए आरबीआई द्वारा आर्थिक वृद्धि को समर्थन जारी रखने की संभावना है।
लंबी अवधि के लिए एफडी में निवेश करने वाले निवेशकों को अपनी जमा राशि को निवेश करने के सही समय को लेकर सबसे बड़ी दुविधा का सामना करना पड़ता है। यदि वे इसे अभी बुक करते हैं और ब्याज दरें और बढ़ जाती हैं, तो उन्हें अतिरिक्त ब्याज दर का नुकसान हो सकता है।
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने पिछले साल रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ने के बाद बदली हुई परिस्थितियों में रेपो दर में बढ़ोतरी का सिलसिला मई, 2022 में शुरू किया था। नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी का यह सिलसिला फरवरी, 2023 तक जारी रहा। इस दौरान रेपो दर चार प्रतिशत से बढ़कर 6.5 प्रतिशत पर पहुंच गई।
आपको बता दें कि आरबीआई ने रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखने का ऐलान किया है।
रिजर्व बैंक जल्द ही व्यवस्था करने जा रहा है, जिसके तहत कर्ज लेते समय बैंक ग्राहकों को फिक्स और फ्लोटिंग ब्याज दरों का विकल्प दे सकते हैं। इससे बार बार ईएमआई बढ़ने से राहत मिलेगी।
शक्तिकांत दास ने उम्मीद जताई कि बाजार में नई फसल की आवक शुरू होने के साथ स्थिति में सुधार होगा। उन्होंने कहा कि जुलाई में मानसून और खरीफ की बुवाई में उल्लेखनीय प्रगति देखने को मिली है।
रिजर्व बैंक ने होम, कार लोन समेत तमाम तरह के लोन लेने वालों को बड़ी राहत देते हुए रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट 6.5% पर बना रहेगा।
बीएसई सेंसेक्स 114.88 अंक टूटकर 65,880.93 अंक पर खुला है। वहीं, एनएसई निफ्टी 31.25 अंक लुढ़ककर 19,601.30 अंक पर कारोबार कर रहा है।
आपको बता दें कि रेपो रेट बढ़ने से बैंकोंं को कर्ज लेना महंगा हो जाता है। इसके चलते लाखों लोगों की ईएमआई बढ़ जाती है।
अप्रैल की मौद्रिक समीक्षा बैठक में 2023-24 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के 5.2 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया था।
महंगाई को कंट्रोल करने के लिए आरबीआई ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रेपो रेट को 2.5 फीसदी बढ़ा दिया था। जिसका असर घर और कार के कर्ज पर हुआ है। कर्ज महंगा होने से EMI का बोझ भी बढ़ता जा रहा है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक के कच्चे तेल के उत्पादन को घटाने के फैसले से मुद्रास्फीति का परिदृश्य गतिशील बना हुआ है।
वित्त वर्ष 2022-23 में आरबीआई ने छह बार में रेपो रेट में वृद्धि कर चुका है। पिछले साल मई से लेकर रेपो रेट में ढ़ाई फीसदी की वृद्धि हो चुकी है।
अगले कुछ महीनों तक कुल मुद्रास्फीति के मध्यम रहने के बावजूद प्रमुख मुद्रास्फीति बनी रह सकती है और आरबीआई इसी को नियंत्रित करने के लिए नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की वृद्धि कर सकता है
सतत वृद्धि के व्यापक उद्देश्य को देखते हुए हमारा मानना है कि मौजूदा चक्र में यह ब्याज दरों में आखिरी वृद्धि है।
आरबीआई द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी पर प्रतिक्रिया देते हुए बैंकिंग विशेषज्ञों ने कहा कि फिक्स्ड डिपॉजिट निवेशकों के लिए यह एक अच्छी खबर है क्योंकि बैंक डिपॉजिट दरें बढ़ाएंगे।
आरबीआई ने रेपो रेट में 25 बीपीएस की न्यूनतम वृद्धि की घोषणा करके इसे 6.50% तक ले जाने का कदम उठाया है। यह बढ़ोतरी थोड़ी निराशाजनक है क्योंकि केंद्रीय बजट में रियल एस्टेट सेक्टर को कोई बड़ा पुश नहीं दिया गया था।
आपको भी सोशल मीडिया पर लोन का टेन्योर बढ़ाने की सलाह दी जा रही है। इससे आपके लोन की ईएमआई स्थिर रहती है। क्या ये तरीका आपके लिए फायदेमंद है या फिर नुकसानदेह, आईए कुछ बिंदुओं में समझते हैं इसका पूरा गणित
RBI ने रेपो दर को 25 आधार अंकों से बढ़ाकर 6.5% कर दिया है। आरबीआई के इस फैसले से जहां लोन लेना महंगा हो गया है, वहीं इसका फायदा बैंक में एफडी करवाने वालों को मिल रहा है।
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