डिप्टी गवर्नर ने कहा कि बैंक निदेशक मंडल को ग्राहक-केंद्रित बैंक बनाने की दिशा में काम करना चाहिए, जहां हर व्यक्ति, चाहे उसकी उम्र, आय या पृष्ठभूमि कुछ भी हो, मूल्यवान और सम्मानित महसूस करे। ग्राहक-केंद्रित शासन हर नीति, प्रक्रिया और सेवा टचपॉइंट में स्पष्ट होना चाहिए।
मुख्य गैर-कर राजस्व स्रोतों में उपयोगकर्ता शुल्क, व्यापार लाइसेंस शुल्क, लेआउट/ भवन मंजूरी शुल्क, विकास शुल्क, बेहतरी शुल्क, बिक्री और किराया शुल्क, बाजार शुल्क, बूचड़खाना शुल्क, पार्किंग शुल्क, जन्म और मृत्यु पंजीकरण शुल्क शामिल हैं।
अक्टूबर में खुदरा महंगाई 6.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो सरकार द्वारा आरबीआई के लिए निर्धारित लक्ष्य से अधिक है।
लिस्ट में शामिल होने के लिए बैंकों को उस बकेट के मुताबिक, पूंजी संरक्षण बफर के अलावा उच्च कॉमन इक्विटी टियर 1 (सीईटी 1) बनाए रखने की जरूरत होती है जिसके तहत इसे वर्गीकृत किया गया है।
आरबीआई ने कहा, “बैंक द्वारा दिखाए गए आंकड़ों के अनुसार, बैंक के 95.8 प्रतिशत जमाकर्ता DICGC से अपनी जमा राशि की पूरी राशि प्राप्त करने के हकदार हैं।” डीआईसीजीसी ने 31 अगस्त, 2024 तक कुल बीमित जमाराशियों में से 9.84 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है।
Bitcoin के भाव में भी पिछले एक दिन में 6.43 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है और इसका मौजूदा भाव 87,415.81 डॉलर हो गया है। पिछले 7 दिनों की बात करें तो बिटकॉइन के भाव में 27 प्रतिशत का उछाल आया है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर के अंत में विदेशी मुद्रा भंडार 704.88 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था। 27 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 12.59 अरब डॉलर की बंपर बढ़त के साथ 704.88 अरब डॉलर के नए लाइफटाइम हाई पर पहुंच गया था।
यह नियुक्ति तीन वर्ष की अवधि के लिए है तथा व्यक्ति पुनर्नियुक्ति के लिए पात्र होगा। इस पद पर मासिक वेतन 2.25 लाख रुपये (स्तर-17) होगा। वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग में आवेदन जमा करने की अंतिम तारीख 30 नवंबर 2024 है।
शेयरों के बदले लोन (LAS) उधारकर्ताओं को ओवरड्राफ्ट सुविधा के तहत दिया जाता है। इसमें इक्विटी होल्डिंग्स को गिरवी रखने लोन दिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि ₹10 लाख मूल्य के शेयर गिरवी रखे गए हैं, तो ₹5 लाख तक का लोन मिल जाएगा।
आरबीआई गवर्नर ने कहा, ''क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े बड़े जोखिमों के बारे में पूरी तरह सचेत रहना चाहिए। मुझे लगता है कि इसे प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए।
दास ने कहा कि कुल मिलाकर भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिरता और मजबूती की तस्वीर पेश करती है। मुद्रास्फीति और वृद्धि के बीच संतुलन बना हुआ है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में निकट अवधि में बढ़ोतरी के बावजूद, साल के अंत में और अगले वर्ष की शुरुआत में सकल (हेडलाइन) मुद्रास्फीति चार प्रतिशत के लक्ष्य के आसपास रहने का अनुमान है।
क्रिसिल ने कहा कि रिपोर्ट किए गए लोन डिफॉल्ट में कुछ बढ़ोतरी देखी जा सकती है क्योंकि संस्थाएं अपने मौजूदा गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) मान्यता मानदंडों और/या मौजूदा ग्राहकों को ऋण वितरित करने की नीतियों और प्रक्रियाओं पर फिर से विचार कर रही हैं।
आरबीआई पेपर में यह स्पष्ट किया गया है कि पेपर केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, मौद्रिक नीति संचरण पर अध्ययन में पाया गया कि मौद्रिक नीति परिवर्तन दीर्घकालिक दरों की तुलना में अल्पकालिक ब्याज दरों को अधिक प्रभावित करते हैं।
डॉलर के संदर्भ में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी इकाइयों की मूल्यवृद्धि या मूल्यह्रास का प्रभाव शामिल होता है।
यह कदम वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता और अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आरबीआई के चल रहे प्रयासों का हिस्सा है।
भारतीय रिजर्व बैंक के शुक्रवार, 11 अक्टूबर को जारी आंकड़ों के अनुसार, 4 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा मानी जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियां 3.51 अरब डॉलर घटकर 612.64 अरब डॉलर रह गईं।
आईसीआरए लिमिटेड की मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान एवं आउटरीच प्रमुख अदिति नायर ने कहा कि एमपीसी समीक्षा ने रुख में बदलाव करके लचीलेपन को प्राथमिकता दी है। इससे दिसंबर 2024 में संभावित दर कटौती का रास्ता खुल गया है।
आरबीआई ने 2024-25 के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अपने अनुमान को 4.5 प्रतिशत पर कायम रखा है। महंगाई दर के दूसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.8 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
RBI MPC Meeting : आरबीआई ने इस बार भी प्रमुख ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया है। भारतीय रिजर्व बैंक ने फरवरी, 2023 से रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा हुआ है।
भारत में खुदरा महंगाई अब भी चिंता का विषय बनी हुई है, तथा पश्चिम एशिया संकट के और बिगड़ने की संभावना है, जिसका असर कच्चे तेल और जिंस कीमतों पर हुआ है।
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