रेलीगेयर समूह को 3,000 करोड़ रुपए की चपत लगाने के मुख्य किरदार मलविंदर मोहन सिंह (एमएमएस) और शिविंदर मोहन सिंह (एसएमएस) बंधु थे।
रेलीगेयर फ्रॉड मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने दिल्ली में एक कोर्ट को बताया कि देनदारियों को चुकता करने के लिए 1,260 करोड़ रुपए की राशि मलविंदर सिंह की कंपनी आरएचसी होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड को हस्तांतरित की गई।
ईओडब्ल्यू की डीसीपी वर्षा शर्मा ने बताया कि पुलिस ने शिविंदर सिंह, सुनील गोधवानी, कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना को गुरुवार को गिरफ्तार किया है। आरोपियों को आईपीसी की धारा 409 और 420 के तहत गिरफ्तार किया गया है।
फार्मा कंपनी रैनबैक्सी के पूर्व प्रोमोटर शिविंदर मोहन सिंह को गिरफ्तार किया गया है
दोनों भाइयों के खिलाफ कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों और उसके बाद उनके कारोबार के पतन के बाद इस कार्रवाई को अंजाम दिया गया है।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि अब दाईची सैंक्यो को भुगतान करने को लेकर सिंह बंधुओं के खिलाफ अवमानना की सुनवाई की जाएगी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने रैनबैक्सी लैबोरेट्रीज के पूर्व प्रमोटर मालविंदर सिंह को अदालती आदेश के उल्लंघन के लिए 35 लाख सिंगापुरी डॉलर जमा कराने का निर्देश दिया है।
डील के मुताबिक फोर्टिस के हर 100 शेयरों के बदले में निवेशकों को मनिपाल हॉस्पिटल के 10.3 शेयर दिए जाएंगे। बिक्री के अलावा फोर्टिस अपनी डॉयगनॉस्टिक चेन SRL लिमिटेड में भी मनिपाल हॉस्पिटल को 20 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचेगी
सही ढंग से न बनी Will के अभाव में भविष्य में कुछ रास्ते मुश्किल ही नहीं बल्कि पेंचीदा भी हो सकते हैं। उदाहरण बिड़ला, रैनबैक्सी और अंबानी परिवार का है।
रैनबैक्सी लैबोरेटरीज के पूर्व प्रमोटर्स सिंह बंधुओं और उनके परिवार को न्यायाधिकरण ने दाइची को 2,562.78 करोड़ रुपए की क्षतिपूर्ति का भुगतान करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी पर भारत में कथित रूप से घटिया दवाएं बेचने के आरोप में उसका लाइसेंस रद्द करने की मांग पर सरकार से दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
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