मानसून की प्रगति में शिथिलता के कारण देश में खरीफ फसलों की बुवाई की रफ्तार भी धीमी है।
पूरे मानसून सीजन यानि जून से सितंबर के दौरान अगर बारिश की कमी 10 प्रतिशत या इससे ज्यादा हो तो सीजन को सूखा घोषित कर दिया जाता है।
जाते-जाते मानसून निराश करने वाला है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, मानसून सीजन के महत्वपूर्ण महीने जून से सितंबर के आखिरी दो महीनों के दौरान देश में औसत बारिश होने की संभावना है।
देश में मानसून सीजन आधा खत्म हो चुका है और अबतक बीते मानसून सीजन के दौरान देशभर में सामान्य के मुकाबले 6 प्रतिशत कम बरसात दर्ज की गई है
देश में मानसून सीजन को शुरू हुए लगभग डेढ़ महीना हो चुका है. लेकिन इसके बावजूद देख के कई हिस्से ऐसे हैं जहां अब भी बारिश का इंतजार हो रहा है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक देशभर में 103 जिले ऐसे हैं जहां अबतक बीते मानसून सीजन यानि पहली जून से लेकर 14 जुलाई के दौरान बारिश की कमी 50 प्रतिशत या इससे ज्यादा दर्ज की गई है
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस साल देश में सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है लेकिन मानसून सीजन के पहले 20 दिन यानि पहली से 20 जून तक देशभर में औसत के मुकाबले 7 प्रतिशत कम बरसात दर्ज की गई है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 20 जून तक देशभर में औसतन 84.5 मिलीमीटर बरसात दर्ज की गई है जबकि सामान्य तौर पर इस दौरान देश में 90.6 मिलीमीटर बरसात होती है।
अबतक बीते मानसून सीजन के दौरान देशभर में भले ही सामान्य बरसात हुई हो लेकिन मानसून के रुकने की वजह से कुछेक राज्यों में बारिश की भारी कमी देखी जा रही है जिस वजह से उन राज्यों में खरीफ की बुआई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक अबतक बीते मानसून सीजन के दौरान गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बारिश की भारी कमी देखी जा रही है
मानसून सीजन में समय रहते इन सभी राज्यों में अगर बारिश की कमी पूरी नहीं हुई इन सभी राज्यों में खरीफ फसलों की पैदावार बुरी तरह से प्रभावित होगी।
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