सूत्रों से मिल जानकारी के मुताबिक कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX पर शुक्रवार से चने का वायदा कारोबार शुरू हो सकता है
पिछले साल का करीब 30-35 लाख टन दलहन का स्टॉक बचा हुआ है जो इस साल खपत होगा और दाल कीमतें बढ़ने से रुक सकती हैं
वर्ष 2015 के दौरान देश में दाल की कीमतों में आई बेतहाशा तेजी के पीछे का कारण मल्टीनेशनल कंपनियों और दाल आयातकों की साठगांठ है।
NCDEX ने कहा है कि 2015 में दाल कीमतों में आई तेजी की जांच के लिए आयकर विभाग जो सर्वे कर रहा था एक्सचेंज उसमें सहयोग कर रही थी
सरकार ने इस बार खरीफ सीजन के लिए धान का MSP 80 रुपए प्रति क्विंटल और दलहन के एमएसपी में 400 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी को मंजूरी दी है।
सरकार ने गुरुवार को कहा कि एक जुलाई से जीएसटी व्यवस्था लागू हो जाने के बाद खाद्यान्न, आटा, दूध, सब्जियां और फल पांच प्रतिशत तक सस्ते हो जाएंगे।
कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि जुलाई से शुरू होने वाले फसल वर्ष 2017-18 में खाद्यान्न उत्पादन के नए रिकॉर्ड को छूने की संभावना है।
किसानों को राहत देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि सरकार ने दलहनों की सरकारी खरीद की अंतिम तिथि को एक सप्ताह के लिए बढ़ाने का फैसला किया है।
रामविलास पासवान ने कहा कि सरकार ने अभी तक दलहन के 18 लाख टन का बफर स्टॉक तैयार किया है और उसने किसानों से 22 अप्रैल तक दाल खरीदने का फैसला किया है।
कृषि जिंस एक्सचेंज NCDEX ने दलहन विशेषरूप से चना, तुअर और उड़द का वायदा कारोबार फिर शुरू करने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड से अनुमति मांगी है।
पिछले एक साल के दौरान दालों की कीमतों में अच्छी गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान दालें करीब 30 फीसदी सस्ती हो गई हैं।
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान को उम्मीद है कि इस वर्ष देश में दालों का उत्पादन करीब 221 लाख टन होगा। इससे सस्ते दामों पर दालें बाजार में उपलब्ध होंगी।
पीएम मोदी ने 'मन की बात' के अपने 29वें संबोधन में डिजिटल पेमेंट और किसानों की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि लोग डिजिटल पेमेंट की तरफ आगे बढ़ रहे हैं।
सरकार ने खाद्यान्न उत्पादन को लेकर अपना दूसरा अग्रीम अनुमान जारी कर दिया है। 2016-17 के दौरान देश में रिकॉर्ड 27.198 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन होगा।
पिछले वर्ष दाल की खुदरा कीमतों में अनाप- शनाप उछाल ने आम आदमी की रसोई का बजट बिगाड़ दिया था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा। देश में अच्छी पैदावार की उम्मीद है।
बेहतर मानसून और अधिक समर्थन मूल्य के प्रोत्साहन से चालू रबी फसल में गेहूं बुवाई का रकबा आठ प्रतिशत बढ़कर 292.39 लाख हेक्टेयर हो गया।
तुअर दाल की दरें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम होने के कारण नाफेड ने खरीदारी शुरु कर दी है। कीमतें 5050 रुपए प्रति क्विंटल नीचे आ गई हैं।
नवंबर में थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर (डब्ल्यूपीआई) लगातार तीसरे महीने गिरकर 3.15 फीसदी पर आ गई है। अक्टूबर में थोक महंगाई दर 3.39 फीसदी थी।
कंपनी कानून के तहत कंपनियों द्वारा कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय को दी जाने वाली सालाना रिटर्न और वित्तीय जानकारियों के लिए समयसीमा को एक माह बढ़ा दिया गया है।
महंगाई पर अंकुश लगाने के इरादे से सरकार ने माप पद्धति नियमों में बदलाव किया है। असाधारण परिस्थितियों में वह आवश्यक जिंसों का रिटेल दाम तय कर सकेगी।
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