खुदरा उद्योग के प्रतिभागियों ने आश्वासन दिया कि वे अपने खुदरा मार्जिन में जरूरी समायोजन करेंगे और उपभोक्ताओं को किफायती कीमतों पर कीमतें उपलब्ध कराने के लिए इसे नाममात्र स्तर पर बनाए रखेंगे।
दालें, टमाटर, अदरक,प्याज, बीन्स, गाजर,मिर्च और टमाटर सहित कई चीजों के खुदरा दाम बहुत तेज रहे। आम आदमी की रसोई के बजट पर इन चीजों ने बड़ा असर डाला।
चना दाल जो फिलहाल बाजार में उपलब्ध सबसे सस्ती दाल है, की कीमत में एक महीने में 4 प्रतिशत कमी देखने को मिली है। इस सप्ताह अरहर दाल की कीमतों (Arhar dal price) पर दबाव रहने की उम्मीद है।
मंत्रालय के अनुसार, इस साल अप्रैल से 16 जून 2021 के दौरान इन तीन दालों की कीमतों में औसत वृद्धि पिछले तीन महीनों (जनवरी-मार्च, 2021) की तुलना में 0.95 प्रतिशत थी।
सितंबर में शुरू की गई एक नई व्यवस्था के तहत थोक के साथ-साथ खुदरा पैकों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बफर स्टॉक से राज्यों को दालों की पेशकश की जा रही है।
देश के प्रमुख दलहन बाजारों में उड़द के दाम में 500 रुपये प्रतिक्विंटल का इजाफा हुआ है, जबकि तुअर के दाम में करीब 600 रुपये प्रतिक्विंटल की वृद्धि हुई है। वहीं, मूंग के भाव में 800 रुपये प्रतिक्विंटल की बढ़ोतरी हुई है। इसके साथ-साथ चना के भाव में भी बीते सप्ताह तक 500 रुपये प्रतिक्विंटल का उछाल आया।
इस बार त्योहारी सीजन में सब्जियों की कीमतों में कमी आने की उम्मीद कम है। रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति में आशंका जताई है कि सर्दियों की सप्लाई शुरू होने तक सब्जियों की कीमतें ऊपरी स्तर पर बनी रह सकती हैं।
सितंबर में तुअर, उड़द और मूंग का निर्यात आंशिक तौर पर खोला था लेकिन जब इससे भी दलहन की कीमतों में उठाव नहीं हुआ तो अब निर्यात की सारी पाबंदियां खत्म कर दी
सरकार ने तुअर के बाद अब उड़द और मूंग का आयात प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया है। सोमवार को DGFT की तरफ से इसको लेकर अधिसूचना जारी की जा चुकी है
पिछले साल का करीब 30-35 लाख टन दलहन का स्टॉक बचा हुआ है जो इस साल खपत होगा और दाल कीमतें बढ़ने से रुक सकती हैं
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