इस साल मॉनसून की बारिश बेहतर रही है। खरीफ सत्र में दालों का रकबा बढ़ा है। घरेलू उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है। पिछले एक महीने में थोक बाजारों में दालों की कीमतों में कमी आई है और आगे भी इसमें कमी आने की उम्मीद है।
प्रतिबंधित श्रेणी के तहत आने वाले उत्पादों के लिये एक आयातक को आयात के लिए अनुमति या लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है।
सरकार ने दो जुलाई को एक अधिसूचना जारी कर मूंग को छोड़कर सभी दालों पर थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, मिल मालिकों और आयातकों पर स्टॉक रखने की सीमा तय कर दी थी।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने दक्षिणपूर्वी अफ्रीका के देश मलावी और म्यामां से दालों के आयात के लिए सहमति ज्ञापन समझौते के तहत अधिसूचना जारी की है।
देश में दलहनों के रिकॉर्ड उत्पादन के कारण वित्त वर्ष 2017-18 में दलहनों-दालों का आयात लगभग दस लाख टन घट गया, जिससे देश को 9,775 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा को बचाने में मदद मिली है।
सरकार ने अब दले या धुले हुए उड़द और मूंग के आयात पर भी अंकुश लगाया है। शुक्रवार को विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की तरफ से जारी की गई अधिसूचना के मुताबिक उड़द और मूंग का दली हुई अवस्था या किसी दूसरी अवस्था में आयात को लेकर अंकुश रहेगा
पिछले साल का करीब 30-35 लाख टन दलहन का स्टॉक बचा हुआ है जो इस साल खपत होगा और दाल कीमतें बढ़ने से रुक सकती हैं
सरकार के लगातार उठाए जा रहे कदमों का कुछ असर दाल की कीमतों पर दिखा है, लेकिन बाजार में भाव गिरने का पूरा फायदा आम आदमी को नहीं मिला है।
घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और बढ़ती कीमतों को नियंत्रित रखने के उद्देश्य से सरकार ने मसूर और तुअर जैसी दालों का 90,000 टन अतिरिक्त आयात करने का निर्णय किया है।
कीमतों पर काबू पाने के लिए सरकार और एक लाख टन चना और मसूर दाल का आयात करने का फैसला किया है। इससे बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और कीमतों पर दबाव बनेगा।
केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि भारत दालों के आयात के लिए म्यांमा और कुछ अफ्रीकी देशों के साथ बातचीत कर रहा है।
अगले पांच वर्षों में मोजाम्बिक से तुअर और अन्य दालों का आयात दोगुना कर दो लाख टन प्रतिवर्ष करने को मंजूरी दी है।
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