दाल आयात को लेकर मलावी और मोजाम्बिक के साथ भारत ने समझौते किये हैं। भारत दाल का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता देश है।
प्रतिबंधित श्रेणी के तहत आने वाले उत्पादों के लिये एक आयातक को आयात के लिए अनुमति या लाइसेंस लेने की आवश्यकता होती है।
जुलाई में मुद्रास्फीति कम होकर 5.59 प्रतिशत रह गई, और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को उम्मीद है कि यह 2021-22 में 5.7 प्रतिशत रहेगी।
मूल सीमा शुल्क और उपकर में कमी के साथ, मसूर दाल पर प्रभावी आयात शुल्क 30 प्रतिशत से घटकर 10 प्रतिशत हो जाएगा। घटा हुआ सीमा शुल्क और उपकर मंगलवार से लागू हो जाएगा।
सरकार के मुताबिक कीमतों पर नियंत्रण के प्रयासों के तहत सरकार द्वारा इन पर लगायी गयी स्टॉक लिमिट में थोक विक्रेताओं, मिलों तथा आयातकों को रियायत दी गयी है।
सरकार के मुताबिक वो कीमतों इस प्रकार रखने की कोशिश कर रही है जिससे किसानों को लाभ मिले और वो दालों के उत्पादन को लेकर उत्साहित बने रहें।
दालों के दाम पर अंकुश के लिये उड़द और मूंग के आयात को प्रतिबंधित श्रेणी से हटाकर इस साल अक्टूबर तक के लिये मुक्त श्रेणी में डाल दिया गया। मूंग दाल को छोड़कर अन्य सभी दलहन पर अक्टूबर तक के लिये स्टॉक सीमा लागू की है।
सरकार ने दो जुलाई को एक अधिसूचना जारी कर मूंग को छोड़कर सभी दालों पर थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, मिल मालिकों और आयातकों पर स्टॉक रखने की सीमा तय कर दी थी।
दालों की बढ़ती कीमतों को देखते हुए सरकार ने मूंग को छोड़कर सभी दोलों पर 31 अक्टूबर तक स्टॉक लिमिट लगा दी है। यानी मूंग को छोड़कर कारोबारी किसी भी दाल या दलहन का सरकार की तरफ से तय लिमिट से ज्यादा का स्टॉक नही रख पाएंगे।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने दक्षिणपूर्वी अफ्रीका के देश मलावी और म्यामां से दालों के आयात के लिए सहमति ज्ञापन समझौते के तहत अधिसूचना जारी की है।
मंत्रालय के अनुसार, इस साल अप्रैल से 16 जून 2021 के दौरान इन तीन दालों की कीमतों में औसत वृद्धि पिछले तीन महीनों (जनवरी-मार्च, 2021) की तुलना में 0.95 प्रतिशत थी।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को राज्यों से तिलहन और दलहन के आयात पर निर्भरता में कमी लाने तथा इस मामले में आत्मनिर्भर बनने के लिये इनका उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान देने को कहा।
तय कोटे के अनुसार, आगामी वित्त वर्ष के दौरान चार लाख टन तुअर और 1.5 लाख टन मूंग का आयात किया जा सकता है। सरकार के बफर स्टॉक में 20 लाख टन दलहन होना चाहिए, लेकिन इस साल तकरीबन इसका आधा ही है
देश के विभिन्न शहरों में इस समय उड़द दाल का खुदरा भाव 100 रुपये किलो से ऊंचा चल रहा है। सरकार के कदम के बाद देश में उड़द की सप्लाई बढ़ेगी और कीमतों में नियंत्रण लाया जा सकेगा।
फसल वर्ष 2020-21 के लिए दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार इस साल रबी सीजन के दौरान देश में रिकॉर्ड अनाज और दलहन पैदा होने का अनुमान है।
कृषि मंत्री के मुताबिक देश में गेहूं व धान की खरीद तो एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर होती थी, लेकिन दलहन व तिलहन की खरीद की व्यवस्था नहीं थी, केंद्र सरकार ने किसानों को आय समर्थन के लिए इन्हें भी एमएसपी पर खरीदने की व्यवस्था की है, जिससे दलहन की पैदावार बढ़ाने में मदद मिली है।
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी फसल वर्ष 2020-21 के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान में खरीफ सीजन में तुअर का उत्पादन 40.4 लाख टन होने का आकलन किया गया है जबकि पिछले साल तुअर का उत्पादन 38.3 लाख टन हुआ था।
सितंबर में शुरू की गई एक नई व्यवस्था के तहत थोक के साथ-साथ खुदरा पैकों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बफर स्टॉक से राज्यों को दालों की पेशकश की जा रही है।
सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है कि सरकार ने जरूरी वस्तु अधिनियम (Essential Commodity Act) में बदलाव किया है और दलहन, तेल तथा तिलहन, आलू और प्याज जैसी वस्तुओं को इस एक्ट से बाहर किया गया है
सरकार के अनुमान के अनुसार, फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) के दौरान देश का कुल दलहन उत्पादन 2.31 करोड़ टन रहा था, जो पिछले वर्ष 2.21 करोड़ टन के करीब रहा था। इसमें से मसूर दाल का उत्पादन घटकर 11.8 लाख टन रह जाने का अनुमान है जो उत्पादन वर्ष 2018-19 में 12.3 लाख टन का हुआ था।
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