गुरुग्राम और नई दिल्ली की तुलना में नोएडा-ग्रेटर नोएडा का किफायती होना भी इसका यूएसपी बन गया है। इसके चलते देश समेत विदेशी निवेशक इस क्षेत्र में बन रहे रेजीडेंशियल प्रोजेक्ट में निवेश कर रहे हैं।
घर खरीदने से पहले यह तय करना काफी मुश्किल होता है कि अंडर कंस्ट्रक्शन या रेडी टू मूव संपत्ति में निवेश करें। बेहतर रिटर्न पानी के लिए आप इनमें निवेश करने से पहले अपनी पसंद जोखिम की क्षमता और अपनी इनकम को ध्यान में जरूर रखें। जोखिम से बचने के लिए रेडी टू मूव संपत्ति में निवेश करें।
प्लॉट बेचने पर टैक्स देते समय मुनाफे से LTCG टैक्स कैसे कैलकुलेट करें इसके बारे में ITR फाइल करते समय लोग जानकारी लेते हैं। प्रॉपर्टी लेने से 1 साल पहले और दो साल बाद तक के निवेश पर कैपिटल गेंस टैक्स में आसानी से छूट ले सकते हैं। इससे पहले LTCG टैक्स क्या है और इसे कैसे कैलकुलेट करते हैं ये जरूर जानें।
घर खरीदें या किराए पर लें इन दोनों के बीच अधिकतर लोग कंफ्यूज हो जाते हैं। घर खरीदने के कई फायदे हैं। घर खरीदने के नुकसान भी कम नहीं है। संपत्ति की कीमत और ब्याज दर लगातार बढ़ती ही जा रही है। घर खरीदें या किराए पर लें इसे तय करने से पहले दोनों के फायदे और नुकसान को ना करें नजरअंदाज।
मृत्यु हो जाने के बाद बच्चों के बीच संपत्ति को लेकर विवाद होना आम बात है। इससे बचने के लिए वसीयतनामा तैयार करते हैं। इसे बनाते समय एक एग्जीक्यूटर जरूर रखें। इसके अलावा नियम और योजनाओं का भी ध्यान जरूर रखना चाहिए है। वहीं निष्पक्ष रुप से वसीयत को तैयार करने के लिए वकील की मदद ले सकते हैं।
रीट का मॉडल म्यूचुअल फंड की तरह है। जिस तरह म्यूचुअल फंड में निवेशकों का पैसा जुटाकर फंड मैनेजर अच्छी कंपनियों के शेयरों में निवेश करता है, ठीक उसी तरह रीट में निवेशकों का पैसा रियल एस्टेट कंपनियों में निवेश किया जाता है।
सलाहकार कंपनी ने कहा कि धारणा में नरमी मुख्य रूप से कमजोर वैश्विक आर्थिक परिदृश्य तथा रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से पैदा हुए भू-राजनीतिक तनाव की वजह से आई है।
पिछले साल शीर्ष आठ शहरों में आवासीय इकाइयों की बिक्री 34 प्रतिशत बढ़कर 3,12,666 इकाई हो गई। यह पिछले नौ साल का उच्च स्तर है।
रियल एस्टेट डेवलपर्स अपनी बिक्री बढ़ाने के लिए साल की शुरुआत में अच्छी डील ऑफर करते हैं। इसमें कैश डिस्काउंट से लेकर कई दूसरी छूट शामिल होती है।
नई आपूर्ति की बात की जाए, तो सात प्रमुख शहरों मे आपूर्ति इस साल 51 प्रतिशत के उछाल के साथ 3,57,600 इकाई पर पहुंच गई।
रिपोर्ट कहती है कि मकान की मांग तेजी से बढ़ने से खाली घरों (अनसोल्ड इनवेंट्री) का स्तर ढाई साल पर आ गया है। महामारी से पहले यह चार साल था।
कोरोना महामारी के बाद घरों की मांग तेज बनी हुई है। ये कारण कीमत में इजाफा कराएंगे। ऐसे में अब बिना देरी किए घर या दुकान का सौदा करना सबसे सही फैसला होगा।
दिल्ली-एनसीआर में कीमतों में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 4,700-4,900 रुपये हो गई।
प्रॉपर्टी अच्छी लोकेशन, सही हालात में होने के बावजूद नहीं बिक पाती है। इसकी वजह होती है कि मार्केट के अनुसार उस प्रॉपर्टी की कीमत तय नहीं होना।
आमतौर पर जब हम मकान खरीदते हैं तो पूछते हैं कि मकान कितना बड़ा है। मकान के आकार के लिए आपको कारपेट एरिया, बिल्ट-अप एरिया और सुपर बिल्ट-अप एरिया जैसे शब्दों से रूबरू होना पड़ता है।
एनसीआर में नोएडा और फरीदाबाद में मौजूदा तिमाही में कोई नई लॉन्चिंग नहीं हुई।
घरों की कीमतें कम से कम दस फीसदी बढ़ गई हैं। लंबे समय से रियल एस्टेट सेक्टर सुस्ती की चपेट में था लेकिन कोविड के बाद इसने रफ्तार पकड़ी है।
त्योहारी सीजन अब पूरे जोरों पर है। इसके साथ ही रियल एस्टेट सेक्टर में तेजी देखने को मिल रही है। प्रॉपर्टी के दामों में बढ़ोतरी के बावजूद घरों की मांग पर असर नहीं हुआ है।
आंकड़ों के अनुसार, 2014 के कैलेंडर वर्ष में अपार्टमेंट की वार्षिक बिक्री 1,65,791 इकाई थी जबकि 2015 में बिक्री 1,57,794 इकाई रही थी।
दिल्ली-एनसीआर में खाली पड़े घरों की संख्या 1,00,770 और हैदराबाद में 99,090 इकाई थी। इन्हें बेचने में क्रमश: 27 महीने, 62 महीने और 41 महीने का समय लगेगा।
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