कुशमैन एंड वेकफील्ड की रिपोर्ट के अनुसार, पहली छमाही में दिल्ली-एनसीआर के प्रॉपर्टी मार्केट में सबसे अधिक पैसा आया। यहां 63.33 करोड़ डॉलर का निवेश आकर्षित हुआ।
प्रॉपर्टी खरीदने से कम से कम 15 दिन पहले खरीदार को सबरजिस्ट्रार के ऑफिस से एक सर्टिफिकेट प्राप्त करना चाहिए कि प्रॉपर्टी किसी भी तरीके के लोन या लोन के सभी मामलों से मुक्त है।
भारत जैसे-जैसे दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, शहर देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं। अनुमान है कि 2050 तक, मौजूदा आठ मेगा-सिटी के अलावा, लगभग 100 भारतीय शहरों की आबादी दस लाख से अधिक होगी।
Long term capital gains tax on property : वित्त मंत्री ने सदन को आश्वासन दिया कि संशोधन के बाद एलटीसीजी कर के संबंध में कोई अतिरिक्त कर बोझ नहीं बढ़ाया जाएगा।
प्रॉपर्टी लॉन्ग टर्म कैपिटल ऐसेट की कैटेगरी में आता है। इसलिए प्रॉपर्टी बेचने पर जो मुनाफा होता है, उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन माना जाता है।
सर्किल रेट बढ़ने का सीधा मतलब यह है कि जो भी लोग अब गाजियाबाद में घर खरीदेंगे, उन्हें ज्यादा स्टांप ड्यूटी चुकानी होगी, जिससे प्रॉपर्टी की कुल लागत में बढ़ोतरी हो जाएगी।
एक सवाल आपके मन में यह भी हो सकता है कि 20 साल में प्रॉपर्टी की कीमत भी तो बढ़ेगी! हां बिल्कुल बढ़ेगी लेकिन वह इतना नहीं बढ़ेगी जितना आपको रिटर्न मिल जाएगा। रेंट पर रहने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि आप अपनी कमाई के साथ इन्वेस्टमेंट कर पाएंगे। सिर्फ होम लोन की ईएमआई चुकाने में नहीं फंसे रहेंगे।
वर्तमान में, शेयरों और म्यूचुअल फंड की स्कीम की बिक्री 12 महीने या उससे कम समय पर करने पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता था। धारा 111 ए के तहत एलटीसीजी फ्लैट 15% की दर से लगाया जाता है।
Property Prices : पिछले 4 साल में हाई डिमांड के चलते घरों की कीमतें 94 प्रतिशत तक बढ़ी हैं।
अगर डिवेलपर और बायर के बीच कोई एजेंट नहीं होगा तो कमीशन बचेगा। इसलिए कोशिश करें कि घर सीधे डिवलेपर या सेलर्स से खरीदें।
बिल्डरों द्वारा अधिक प्रीमियम फ्लैट लॉन्च किए जाने के चलते अप्रैल-जून की अवधि में सात प्रमुख शहरों में किफायती अपार्टमेंट्स की नई सप्लाई, जिनकी कीमत 50 लाख रुपये से कम है, में 21 प्रतिशत की गिरावट आई है।
तिमाही-दर-तिमाही आंकड़ों के हिसाब से अहमदाबाद में घरों की बिक्री अप्रैल-जून में 26 प्रतिशत घटकर 9,500 यूनिट रह गई। हालांकि दिल्ली-एनसीआर में बिक्री 10 प्रतिशत बढ़कर 10,058 यूनिट से 11,065 यूनिट हो गई।
इसी तरह, एमएमआर में समीक्षाधीन अवधि के दौरान आवास की औसत कीमतें 10,610 रुपये प्रति वर्ग फुट से 48 प्रतिशत बढ़कर 15,650 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं। एनारॉक ने कहा कि निर्माण लागत में भारी बढ़ोतरी और अच्छी बिक्री के कारण कीमतों में वृद्धि हुई।
देश के आठ प्रमुख शहरों में ऑफिस की डिमांड रिकॉर्ड 3.47 करोड़ वर्ग फुट पर पहुंच गई। मजबूत आर्थिक बुनियाद और स्थिर सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण भारत का रियल एस्टेट बाजार पिछली कुछ तिमाहियों में तेजी से बढ़ा है।
सालाना आधार पर, दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर), मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर), बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद में बिक्री में बढ़ोतरी देखी गई है, जबकि चेन्नई और कोलकाता में मांग में गिरावट आई।
सलाहकार फर्म ने कहा कि कुल लोन बाजार में 2024-2026 के बीच भारतीय रियल एस्टेट में 14,00,000 करोड़ रुपये (170 अरब डॉलर) के वित्तपोषण के अवसर की संभावना है।
बेंगलुरु में भी घरों की बिक्री एक साल पहले की 15,088 इकाइयों से बढ़कर 15,127 इकाइयों पर पहुंचने का अनुमान है। लेकिन चेन्नई में बिक्री 4,950 इकाइयों से घटकर 4,841 इकाइयों पर आ जाने का अनुमान है।
रिपोर्ट के अनुसार, इन शहरों के प्रमुख बाजारों में औसत आवासीय किराये में पिछली तिमाही की तुलना में दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) 2024 में दो से चार प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। 2024 की पहली तिमाही में इन बाजारों में किराये में 2023 की चौथी तिमाही के मुकाबले चार से नौ प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
प्रीमियम आवासीय संपत्तियों की बढ़ती मांग को भुनाने के लिए बिल्डर्स लग्जरी अपार्टमेंट पेश करने पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। लग्जरी परियोजनाओं में लाभ मार्जिन भी अधिक है।
2019 के आम चुनावों के बाद देश के टॉप 7 शहरों में घरों के दाम 6 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़े हैं। जून 2019 में औसत एक स्क्वायर फीट का दाम 5,600 रुपये था, जो वित्त वर्ष 2024 के अंत में बढ़कर 7,550 रुपये प्रति स्क्वायर फीट हो गया है।
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