Real Estate News : ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में इंफ्रास्ट्रक्चर में इतना बदलाव आया है, जो पिछले दशकों में कभी नहीं देखा गया। नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, द्वारका एक्सप्रेसवे, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे, रैपिड रेल, मेट्रो विस्तार इसके बेहतरीन उदाहरण हैं।
रियल एस्टेट मार्केट में दो तरह की प्रॉपर्टी उपलब्ध होती हैं- अंडर कंस्ट्रक्शन और रेडी-टू-मूव। खरीदार अपनी-अपनी जरूरतों के हिसाब से अंडर कंस्ट्रक्शन और रेडी-टू-मूव प्रॉपर्टी खरीदते हैं।
1 जनवरी 2008 से लेकर 1 नवंबर 2024 तक 1000 वर्गमीटर से बड़े प्लॉट और जमीनें खरीदने वालों की लिस्ट मांगी गई है। साथ ही इसमें निजी और कंपनी दोनों के नाम खरीदी प्रॉपर्टी की डिटेल मांगी गई है।
Property News : फाइनेंशियल बर्डन से बचना चाहते हैं तो अपने बजट के हिसाब से घर खरीदें। घर खरीदने के लिए एक बजट तय करें। साथ ही यह भी तय करें कि आपको कितने बड़े घर या कितने बड़े साइज के फ्लैट की नीड है।
धनतेरस और दिवाली नया निवेश शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है। अगर आप भी किसी एसेट क्लास में पैसा लगाना चाहते हैं तो अपने फाइनेंशियल गोल के अनुसार ही निवेश करें।
कीमतों में सालाना आधार पर सबसे अधिक 57 प्रतिशत की बढ़ोतरी राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के आवासीय बाजार में देखी गई। इसमें कहा गया है कि बढ़ती निर्माण लागत के कारण आवासीय इकाइयों के मूल बिक्री कीमत में एडजस्टमेंट जरूरी हो गया है।
पंजाब विधानसभा में पिछले महीने 3 सितंबर को एक विधेयक पारित किया था, इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य जमीन के डॉक्यूमेंट्स के रजिस्ट्रेशन के लिए चली आ रही अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) की प्रथा को खत्म करना है।
पिछले कुछ वर्षों में प्रमुख शहरों में लग्जरी संपत्तियों की बिक्री में उछाल आया है। राष्ट्रीय राजधानी, खासकर दक्षिण और मध्य दिल्ली में भी कई बड़ी संपत्ति सौदे हुए हैं। जनवरी-सितंबर में सात प्रमुख शहरों में 4 करोड़ रुपये और उससे अधिक कीमत वाले लग्जरी घरों की बिक्री में 38 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
भूमि सौदों में छह प्रमुख भारतीय शहरों दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, पुणे का दबदबा रहा। इस वर्ष भूमि सौदों में उल्लेखनीय वृद्धि भारत की रियल एस्टेट क्षमता में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के मजबूत भरोसे को दर्शाती है।
सेबी ने कहा कि सफल बोलीदाता को संपत्ति के ट्रांसफर के लिए कानून के मुताबिक देय शुल्क/फीस जैसे लागू स्टाम्प शुल्क/हस्तांतरण शुल्क, पंजीकरण व्यय, फीस आदि का वहन करना होगा।
त्योहारी सीजन में घर खरीदने से पहले पूरी तरह से रिसर्च करें और जल्दबाजी में फैसला न लें। आप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से प्रॉपर्टी के बारे में रिसर्च करें।
प्रॉपटाइगर का कहना है कि बिक्री और नए ऑफर दोनों में सालाना आधार पर गिरावट बढ़ती कीमतों के प्रति बाजार की प्रतिक्रिया को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि हम बाजार गतिविधि में एक स्वस्थ मंदी देख रहे हैं, जो एंड यूजर के लिए फायदेमंद है क्योंकि यह स्थायी ग्रोथ लाता है।
गोदरेज प्रॉपर्टीज वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बिक्री बुकिंग के मामले में सबसे बड़ी सूचीबद्ध रियल एस्टेट कंपनी बन गई। पिछले वित्त वर्ष में गोदरेज प्रॉपर्टीज की बिक्री बुकिंग 84 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड 22,527 करोड़ रुपये हो गई, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह 12,232 करोड़ रुपये थी।
सिक्योर्ड लोन में भी कई तरह के शुल्क लगते हैं।इसमें शामिल हैं- लोन ऐप्लीकेशन के लिए प्रोसेसिंग शुल्क, प्रॉपर्टी की कीमत के वैल्यूएशन के लिए वैल्यूएशन शुल्क, दस्तावेजों एवं वैरिफिकेशन के लिए कानूनी खर्च आदि।
आवासीय संपत्ति की औसत कीमतों में पिछली कुछ तिमाहियों से वृद्धि हो रही है। इसकी वजह कुल उत्पादन लागत में बढ़ोतरी है। इसमें भूमि अधिग्रहण की लागत और निर्माण लागत शामिल हैं। इसके अलावा लग्जरी यानी महंगे घरों की मांग बढ़ने से भी आवास कीमतों में उछाल देखने को मिला है।
Property Tips : फाइनेंशियल बर्डन से बचना चाहते हैं तो अपने बजट के हिसाब से घर खरीदें। घर खरीदने के लिए एक बजट तय करें। साथ ही यह भी तय करें कि आपको कितने बड़े घर या कितने बड़े साइज के फ्लैट की नीड है।
प्रॉपइक्विटी ने अनुमान लगाया गया है कि भारत में जुलाई-सितंबर में नौ प्रमुख शहरों में बिक्री 18 प्रतिशत घटकर 1,04,393 यूनिट रह गई। क्रेडाई के पूर्व अध्यक्ष इरफान रजाक ने कहा कि मांग तो है, लेकिन पेशकश नहीं है।
बेंगलुरु में जुलाई-सितंबर के दौरान आवास बिक्री 26 प्रतिशत घटकर 13,355 इकाई रहने का अनुमान है, जो एक साल पहले की अवधि में 17,978 इकाई थी।
लोन देने वाला बैंक प्रॉपर्टी की वैल्यूएशन कर इसी आधार पर लोन देता है। लोन की राशि कई कारकों पर निर्भर करती है जैसे आर्थिक स्थिति, ब्याज दर, बाजार के स्थानीय रूझान (संपत्ति की कीमतों में उचार-चढ़ाव) आदि।
टैक्स कटौती पुरुषों और महिलाओं के लिए समान है, लेकिन ज्वाइंट ओनरशिप अलग-अलग टैक्स कटौती का दावा करने की परमिशन देता है। भारत में महिलाओं को आसानी से संपत्ति खरीदने में मदद करने के लिए सरकारी की भी स्कीम है।
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