टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड ने अपने उपभोक्ताओं को मैसेज भेजकर कोयला संकट की वजह से लोगों को समझदारी के साथ बिजली खर्च करने का सुझाव दिया था।
राजस्थान, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक,मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, झारखंड और तमिलनाडु की बिजली वितरण कंपनियों का बिजली उत्पादक कंपनियों के बकाये में सबसे अधिक हिस्सा है।
ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने कहा कि देश में बिजली का संकट नहीं है और और फिलहाल कोयले का भरपूर स्टॉक मौजूद है।
सरकार के मुताबिक कोयले की अंतरराष्ट्रीय कीमतों और बारिश की वजह से देश की कोयला खदानों में कामकाज पर असर से बिजली उत्पादन घटा है, लेकिन उम्मीद है कि यह स्थिति 3-4 दिन में ठीक हो जायेगी।
देश के कई इलाकों में अत्यधिक वर्षा के कारण कोयला की आवाजाही प्रभावित होने से दिल्ली और पंजाब समेत कई राज्यों में बिजली संकट गहरा गया है।
पंजाब में ताप बिजली संयंत्रों में कोयले की भारी कमी के कारण बिजली कंपनी पीएसपीसीएल को उत्पादन में कटौती करनी पड़ी है और राज्य में कई स्थानों पर बारी-बारी से बिजली कटौती की जा रही है।
बिजली कीमत में बहुत अधिक वृद्धि से महंगाई बढ़ने का भी डर है। जो पहले से ही नीति निर्माताओं को अपने अगले कदम पर सावधानीपूर्वक विचार करने के लिए मजबूर कर रहा है।
यह दिशानिर्देश बिजली क्षेत्र के लिए साइबर सुरक्षा तैयारियों के स्तर को बढ़ाने के लिए आवश्यक कार्रवाई निर्धारित करते हैं।
कंपनियों के कामकाज की समीक्षा बैठक में दोनों संगठनों को बाजार की बदलती हुई जरूरतों के अनुसार बदलने और नवीकरणीय ऊर्जा में बढ़ोतरी करने को भी कहा गया
17 बिजली संयंत्र ऐसे हैं जिनके पास शून्य कोयला भंडार है, जबकि 22,550 मेगावॉट क्षमता के 20 पावर प्लांट्स के पास एक दिन का कोयला भंडार शेष है।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने 2020 के अंत में आयोजित यूनाइटेड नेशन के क्लाइमेट चेंज सम्मेलन में घोषणा की थी कि उनका देश जीपीडी के प्रति यूनिट कार्बन डाईऑक्साइड उत्सर्जन में 2005 के स्तर से 65 प्रतिशत तक की कटौती 2030 तक करेगा।
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच माह अप्रैल-अगस्त में बिजली संयंत्रों को कोल इंडिया की आपूर्ति 27.2 प्रतिशत बढ़कर 20.59 करोड़ टन पर पहुंच गयी।
अगस्त के महीने में 15 अगस्त तक मांग और उत्पादन में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। इससे पहले जुलाई में देश की बिजली की खपत महामारी के पहले के स्तर पर पहुंच गयी थी
बयान में कहा गया है कि यह कदम आम जनता के लिए एक उदाहरण बनेगा और उन्हें ई-मोबिलिटी को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सकेगा।
मंत्रालय ने कहा कि रेटिंग एजेंसी के त्रुटिपूर्ण अनुमान की वजह से नुकसान के आंकड़े को 90,000 करोड़ रुपये पर पहुंचा दिया गया है, जो काफी बढ़ाकर दिखाया गया लगता है।
इस योजना के तहत एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम चरणबद्ध तरीके से कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर सभी बिजली उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड स्मार्ट मीटर स्थापित करना है।
अगस्त के पहले सप्ताह में व्यस्त समय की पूरी की गई बिजली की मांग या दिन में बिजली की सबसे अधिक आपूर्ति 188.59 गीगावॉट की रही। जो पिछले साल से 14 प्रतिशत अधिक है।
वित्त वर्ष 2020-21 में बिजली वितरण कंपनियों को हर साल 90,000 करोड़ रुपये घाटा होने का अनुमान
जुलाई में बिजली की मांग में सुधार की प्रमुख वजह मानसून में देरी तथा राज्यों द्वारा अंकुशों में ढील के बाद आर्थिक गतिविधियों में तेजी आना है।
नये संशोधन के बाद बिजली क्षेत्र में नए सुधारों की गति तेज की जा सकेगी। इन संशोधनों से बिजली उपभोक्ताओं को फायदा मिलने की पूरी उम्मीद है, साध ही सौर और पवन ऊर्जा जैसे पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा स्रोत को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
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