जोशी ने कहा कि कोयला आयात में कमी से सिर्फ एक साल में 82,264 करोड़ रुपये की बचत हुई है। सरकार का लक्ष्य 2026 तक कोयले का आयात ‘शून्य’ करने का भी है।
Power Minister RK Singh: भारतीय बिजली सेक्टर तेजी से ग्रो कर रहा है। केंद्रीय बिजली मंत्री आर के सिंह ने इसके बारे में जानकारी दी है।
उभरती प्रौद्योगिकियों की पहचान कर और उन्हें कार्यान्वयन के स्तर पर ले जाकर माहिर मिशन उन्हें भविष्य के आर्थिक विकास के लिए मुख्य ईंधन के रूप में उपयोग करना चाहता है
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में 13 अक्टूबर तक पूर्वी क्षेत्र में बिजली उत्पादन 8.48 प्रतिशत की दर से बढ़ा, जबकि इस दौरान अन्य क्षेत्रों में लगभग पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
यह दिशानिर्देश बिजली क्षेत्र के लिए साइबर सुरक्षा तैयारियों के स्तर को बढ़ाने के लिए आवश्यक कार्रवाई निर्धारित करते हैं।
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच माह अप्रैल-अगस्त में बिजली संयंत्रों को कोल इंडिया की आपूर्ति 27.2 प्रतिशत बढ़कर 20.59 करोड़ टन पर पहुंच गयी।
समझौते में विंड एनर्जी के विकास में सहयोग की बात शामिल
बिजली उत्पादन कंपनियों को निर्देश, वितरण कंपनियो को स्थाई खर्चों पर 25% तक रियायत दें
लॉकडाउन और सरकार के राहत कदमों से बिजली कंपनियों पर दबाव संभव
बिजली वितरण कंपनियों के ऊपर फरवरी 2020 तक बिजली उत्पादन कंपनियों का 92,602 करोड़ रुपये बकाया
PFC ने 31 मार्च को ही 5300 करोड़ रुपये के कर्ज बांटे
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी कोल इंडिया की बिजली क्षेत्र को कोयला आपूर्ति चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जनवरी अवधि में 6.8 प्रतिशत घटकर 37.79 करोड़ टन रही।
कोल इंडिया वित्त वर्ष 2023-24 तक अपने उत्पादन को एक अरब टन तक पहुंचाएगी। कोल इंडिया को अभी 66 करोड़ टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है
सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की बिजली क्षेत्र को कोयले की आपूर्ति चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में 8.5 प्रतिशत घटकर 25.3 करोड़ टन रह गई है।
वितरण कंपनियों पर बिजली उत्पादकों का बकाया इस साल जून महीने के अंत में एक साल पहले की तुलना में 30 प्रतिशत से भी अधिक बढ़कर 46,412 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। बिजली मंत्रालय की प्राप्ति पोर्टल के अनुसार यह बकाया जून 2018 के अंत में 34,465 करोड़ रुपये था।
सौर ऊर्जा को सस्ता बनाने को लेकर सरकार की कोशिशें रंग लाती दिख रही हैं। उत्पादन लागत घटने के चलते इससे जुड़ी कंपनियां भी काफी उत्साहित हैं।
ASSOCHAM ने अपने पेपर में कहा है कि बिजली, दूरसंचार और खनन क्षेत्र अत्यधिक कर्जग्रस्त हैं और बैंक इन क्षेत्रों को उधार नहीं दे पा रहे हैं।
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