2004-2005 और 2011-12 के बीच गरीबी में उल्लेखनीय कमी आई और यह 38.6 प्रतिशत से घटकर 21.2 प्रतिशत रह गई। महामारी से पैदा हुई चुनौतियों के बावजूद इसमें गिरावट का सिलसिला जारी रहा और यह 21.2 प्रतिशत से घटकर 2022-24 में 8.5 प्रतिशत पर आ गई।
एक प्रमुख अमेरिकी थिंक टैंक 'द ब्रुकिंग्स इंस्टीट्यूशन' के अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला और करण भसीन ने हाल में जारी 2022-23 के उपभोग व्यय के आंकड़ों का हवाला दिया।
सुब्रमण्यम ने यह भी कहा कि खुदरा महंगाई में भोजन का योगदान कम होगा और शायद पहले के वर्षों में भी कम था। इसका मतलब है कि मुद्रास्फीति को बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा था और शायद कम है, क्योंकि मुद्रास्फीति में भोजन का प्रमुख योगदान रहा है।
राज्य स्तर पर, उत्तर प्रदेश में 5.94 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले और इस मामले में यह सूची में शीर्ष पर है। इसके बाद बिहार में 3.77 करोड़ और मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले।
रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया के 10 सबसे बड़े निगमों में से सात में मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) या प्रमुख शेयरधारक एक अरबपति हैं।
भारत में कुल 415 मिलियन लोग केवल 15 वर्षों (2005-06-2019-21) के भीतर गरीबी से बाहर आ गए, जो मानव विकास मापदंडों में उल्लेखनीय सुधार को दर्शाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 20 करोड़ लोग या विकासशील एशिया की 5.2 प्रतिशत आबादी, 2017 तक अत्यधिक गरीबी में रहती थी। महामारी नहीं आती तो ये आंकड़ा 2020 तक 2.6 प्रतिशत संभव था
द/नज फाउंडेशन का मिशन गरीबी उन्मूलन है और ‘सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट’ ग्रामीण भारत में आजीविका में सुधार पर केंद्रित है।
पिछले साल लॉकडाउन के दौरान देश भर में अप्रैल-मई 2020 के दौरान लगभग 10 करोड़ लोगों की नौकरियां चली गईं।
पिछले दो-तीन वर्षों में स्थानीय प्रशासन द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से गांव में हर चीज में सुधार देखने में आया है।
वैश्विक स्तर पर विकास की जरूरत और गरीबी के समाधान के दृष्टिकोण से एडीबी को कर्ज की मात्रा और आकार बढ़ानेे की हैैजरूरत।
गुतारेस ने चेतावनी दी कि यदि तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो साफ है कि भीषण वैश्विक खाद्यान्न आपात स्थिति का जोखिम बढ़ रहा है। इसका दीर्घावधि में करोड़ों बच्चों और युवाओं पर असर हो सकता है।
भारत में 1990 के बाद से गरीबी के मामले में स्थिति में काफी सुधार हुआ है और इस दौरान उसकी गरीबी दर आधी रह गई। भारत ने पिछले 15 साल में 7 प्रतिशत से अधिक की आर्थिक वृद्धि दर हासिल की है।
इमरान खान ने कहा कि एक स्वास्थ्य कार्यक्रम भी लॉन्च किया गया है जो 38 जिलों के 33 लाख लोगों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराएगा।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को यह दावा किया कि एनडीए के 4 साल के कार्यकाल के दौरान 5 करोड़ गरीब लोग गरीबी रेखा से बाहर निकल आए हैं और स्वच्छ भारत अभियान के जरिये 3 लाख बच्चों के जीवन को सुरक्षित बनाया गया है।
वा बनाने वाली कंपनी ल्यूपिन की कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) शाखा ल्यूपिन फाउंडेशन तीन जिलों को 2022 तक गरीबी मुक्त बनाने के लिए गोद लेगी।
दवा कंपनी ल्यूपिन की कॉरपॉरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) शाखा ल्यूपिन फाउंडेशन तीन जिलों को 2022 तक गरीबी मुक्त बनाने के लिए गोद लेगी। इसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र का एक-एक जिला शामिल है।
गरीबी में लगातार कमी के चलते भारत अब दुनिया में सबसे बड़ी गरीब आबादी वाला देश नहीं रहा है। अमेरिका के शोध संस्थान ब्रूकिंग्स ने अपने एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला है। फर्म के ब्लाग में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार 2018 की शुरुआत में ही, अत्यधिक गरीबी में जीवन यापन कर रही सबसे बड़ी आबादी के लिहाज से नाइजीरिया, भारत से आगे निकल गया। यही नहीं, कांगो जल्द ही इस सूची में दूसरे नंबर पर आ सकता है।
देश की ग्राम पंचायतों में आर्थिक वृद्धि और गरीबी मापने के लिए अब सरकार नए पैमाइश का उपयोग करेगी। इसके तहत सरकार बैंक बैलेंस जांचेगी।
नीति आयोग ने कहा कि 2022 तक देश को गरीबी, गंदगी, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद और सांप्रदायिकता जैसी 6 समस्याओं से निजात दिलाने के लिए जमीन तैयार कर ली जाएगी
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