कुछ बेईमान लोग निवेशकों को धोखा देते हैं, क्योंकि वे अपना पैसा गैर-मौजूद कंपनियों या योजनाओं में लगाते हैं, ताकि वे इसे चुरा सकें। इस तरह की धोखाधड़ी को पोंजी स्कीम कहते हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित पोंजी स्कीम घोटाले में धनशोधन निवारण (मनी लॉन्ड्रिंग) जांच में करीब 300 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। यह मामला तेलंगाना के हीरा समूह से जुड़ा हुआ है।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 600 करोड़ रुपए के कथित पोंजी घोटाला से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अपने पूर्व उपनिदेशक और अन्य लोगों के परिसरों पर गुरुवार को छापेमारी की।
ज्यादा रिटर्न के भरोसे के बदले पॉन्जी फर्म में 20 करोड़ रुपए का निवेश किया था। लेकिन रिटर्न तो दूर फर्म ने 20 करोड़ रुपए में से 16 करोड़ रुपए ही वापस किए हैं और बाकि 4 करोड़ अभी नहीं दिए हैं
पीएसीएल पोंजी घोटाला मामले में मनी लॉन्ड्रिंग संबंधी जांच के संबंध में प्रवर्तन निदेशालय ने 472 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है।
सरकार ने बिटॉइन और दूसरी आभाषीय करेंसी पर कहा था कि इनमें किया गया निवेश कानूनी तौर पर सुरक्षित नहीं है क्योंकि बिटकॉइन एक तरह की पॉन्जी स्कीम है
एजेंसियों को आशंका है कि बिटकॉइन के रेग्युलेशन में कमियों की वजह से इसका फायदा धोखाधड़ी करने वाले उठा सकते हैं
सरकार ने पोंजी स्कीम पर लगाम लगाने के इरादे से संशोधित विधेयक का मसौदा पेश किया है। इसमें दस साल तक जेल तथा 50 करोड़ रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।
सेबी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रतिबंधित पोंजी स्कीम उसके नियमन के दायरे में नहीं आती हैं। सिर्फ संबंधित राज्य सरकारें उनका नियंत्रण कर सकती हैं।
निवेशकों की मदद के लिए रिजर्व बैंक ने सचेत (आरबीआई डॉट ओआरजी डॉट इन) नाम की एक नई वेबसाइट शुरू की है।
सेबी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि देश में अवैध रूप से चलने वाली सार्वजनिक जमा योजनाएं या पोंजी स्कीम मनी लांड्रिंग का एक बड़ा जरिया भी हैं।
बाजार नियामक सेबी ने अब तक 567 अभियोग मामले उनके खिलाफ दर्ज कराए हैं जिन्होंने अवैध निवेश योजनाओं (पोंजी) के माध्यम से लोगों से धन जुटाया।
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