जिन पंजीकृत राजनीतिक दलों को पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में एक प्रतिशत या उससे अधिक वोट मिले हैं, वे ही चुनावी बॉन्ड से चंदा पाने के लिए पात्र हैं।
RTI से खुलासा हुआ है कि सियासी दलों को चंदा देने के लिये मार्च 2018 से मई 2019 के बीच कुल 5,851.41 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे गये। इनमें से 80.6 प्रतिशत बॉन्ड सिर्फ नयी दिल्ली में भुनाये गये, जहां प्रमुख सियासी दलों के राष्ट्रीय मुख्यालय स्थित हैं।
केंद्रीय मंत्री पीपी चौधरी ने गड़बड़ी करने वाली कंपनियों को कठोर चेतावनी देते हुए कहा कि निवेशकों के हितों की कीमत पर कंपनी को स्वायत्तता नहीं दी जा सकती है। उन्होंने संकेत दिया कि मुखौटा कंपनियों की जांच से राजनीतिक दलों और व्यक्तियों के बारे में ‘कुछ बातें’ सामने आ सकती हैं।
राजनीतिक दलों को 1976 के बाद मिले विदेशी चंदे की अब जांच नहीं हो सकेगी। इस संबंध में कानून में संशोधन को लोकसभा ने बिना किसी चर्चा के पारित कर दिया।
आयकर विभाग के मुताबिक किसी भी पंजीकृत ट्रस्ट को कैश में 2000 रुपए से अधिक का दान न दें। उलंघन करने पर जुर्माना हो सकता है
सरकार द्वारा प्रस्तावित चुनावी बांड की वैध अवधि को 15 दिन रखा जा सकता है। कम अवधि के लिए जारी करने से बांड के दुरुपयोग को रोकने में मदद मिलेगी।
किसानों की कर्ज माफी को लेकर तेज होती आवाज के बीच रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर वाईवी रेड्डी ने कहा कि इस तरह के कदम अर्थव्यवस्था और ऋण संस्कृति के लिए ठीक नहीं हैं।
निजी क्षेत्र में आरक्षण की किसी भी पहल से देश के निवेश माहौल पर बुरा असर पड़ेगा। एसोचैम ने कहा है कि राजनीतिक दलों को ऐसा कोई भी कदम उठाने से बचना चाहिए।
ऋण नहीं चुकाने के मामले में फंसे शराब कारोबारी विजय माल्या ने गुरुवार को कहा कि वह देश की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के बीच 'राजनीतिक फुटबॉल' बन गए हैं।
राजनीतिक दलों को एक व्यक्ति से 2000 रुपए नगद चंदा लेने की सीमा तय करने के बाद अब हर साल दिसंबर में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने को अनिवार्य करने जा रही है।
चंदे में पारदर्शिता लाने की पहल के तहत केंद्रीय बजट में प्रस्ताव किया गया है कि पार्टियां एक व्यक्ति से 2000 रुपए से अधिक नगद चंदा नहीं ले सकती हैं।
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