देश के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की इकोनॉमिक हेल्थ का इंडीकेटर माने जाने वाले PMI दिसंबर में घटकर 49.6 अंक रह गया, जो कि इससे पहले नवंबर में 52.3 अंक था।
नोटबंदी के चलते नवंबर माह में पीएमआई की वृद्धि रफ्तार धीमी पड़ी। नकदी की कमी के चलते घरेलू खपत कमजोर पड़ने से वस्तुओं के उत्पादन, नए ऑर्डर पर असर पड़ा है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ रेट अक्टूबर में पिछले 22 माह के उच्च स्तर पर पहुंच गई। इस दौरान नए ऑर्डर, खरीद और उत्पादन में तेज बढ़ोतरी दर्ज की गई।
देश में कारोबार की परिस्थितियों में सुधार के साथ विनिर्माण क्षेत्र की ग्रोथ दर अगस्त में 13 माह के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। पीएमआईउछलकर 52.6 हो गया।
भारत की सेवा क्षेत्र (सर्विस सेक्टर ) की गतिविधि में उल्लेखनीय बढ़ोतरी दर्ज हुई और जुलाई में यह तीन महीने के उच्चतम स्तर पर रही।
ऑर्डर में कमी के कारण सर्विस सेक्टर की ग्रोथ रेट में लगातार तीसरे महीने गिरावट दर्ज की गई। जून में सर्विस सेक्टर की ग्रोथ सात महीने के निचले स्तर पर आ गई।
निक्की मार्किट इंडिया मैनुफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) जून में बढ़कर 51.7 हो गया जो मई में 50.7 था। इसका कारण नए ऑर्डर में वृद्धि है।
बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स आज लगभग 46 अंक चढ़कर 26,713.93 अंक पर बंद हुआ। आईटी और रीयल्टी कंपनियों के शेयरों में चमक देखने को मिली।
देश में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन की वृद्धि की गति मई में पांच महीने में सबसे धीमी रही। यह बताता है कि क्षेत्र की हालत में बमुश्किल ही सुधार हुआ है।
देश के सर्विस सेक्टर में नए ऑर्डर में धीमी ग्रोथ और मैन्युफैक्चरर्स के ऑर्डर बुक स्थिर रहने के कारण अप्रैल में प्राइवेट सेक्टर की गतिविधि घटी है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां अप्रैल में चार महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गई। एक सर्वे के अनुसार इसका कारण अप्रैल में नए आर्डर का स्थिर होना है।
शेयर बाजार की दिशा इस सप्ताह बड़ी कंपनियों के तिमाही नतीजे तय करेंगे। एक्सपर्ट्स के मुताबिक विदेशी निवेशकों के निवेश रूख से भी बाजार की दिशा तय होगी।
निक्केई इंडिया मिक्स्ड पीएमआई आउटपुट इंडेक्स मार्च में 54.3 पर पहुंच गया, फरवरी में 51.2 पर था। निक्केई इंडिया के मुताबिक नए ऑर्डर मिलने से बढ़ोतरी हुई है।
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