पीएमआई में मार्च में 56.9 से बढ़कर 59.1 हो गया है। यह लगातार 33वां महीना है, जब पीएमआई 50 के ऊपर बना हुआ है। पीएमआई का 50 के ऊपर बने रहना विनिर्माण क्षेत्र में वद्धि का संकेत है।
सर्विस सेक्टर की करीब 400 कंपनियों ने इस सर्वे में भाग लिया। कंपनियों की ओर से दिए गए नए आंकड़ों के अनुसार भारतीय सेवा प्रदाताओं के साथ नए कारोबार में पर्याप्त वृद्धि हुई है, जो जून 2010 के बाद से दूसरी सबसे तेज वृद्धि है। नवीनतम पीएमआई परिणाम भारत की सेवा अर्थव्यवस्था के लिए और अधिक सकारात्मक खबरें लेकर आई हैं।
खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) की भाषा में 50 से ऊपर अंक का मतलब है कि गतिविधियो में विस्तार हो रहा है, जबकि 50 से कम अंक संकुचन को दर्शाता है।
सेवा पीएमआई लगातार 17वें महीने 50 अंक से अधिक है। पीएमआई की भाषा में 50 से अधिक अंक गतिविधियों में विस्तार को दर्शाता है।
देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में नवंबर में थोड़ा सुधार हुआ लेकिन नए आर्डर और उत्पादन में गहमा-गहमी की कमी से कुल मिला कर इस क्षेत्र की वृद्धि दर अभी धीमी बनी हुई है।
चुनौतीपूर्ण आर्थिक हालात के बीच देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में लगातार दूसरे महीने अक्टूबर में भी गिरावट दर्ज की गयी है।
नये कारोबारी ऑर्डर बढ़ने के चलते नियुक्तियों में हुयी मजबूत वृद्धि से सेवा क्षेत्र की गतिविधियां जुलाई के बाद अक्टूबर में सबसे तेज गति से बढ़ी हैं। एक मासिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई।
देश की विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां जून में इस वर्ष की सबसे तेज गति से बढ़ी हैं।
देश में सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में साल के पहले महीने यानी जनवरी में तेजी बनी रही। एक मासिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि नये कारोबारी ऑर्डरों में वृद्धि के चलते सेवा क्षेत्र की गतिविधियां तीन महीने में सबसे तेज रही।
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जनवरी में तीन माह के निचले स्तर पर पहुंच गई। इसकी अहम वजह कारखानों का उत्पादन, नए ऑर्डर और रोजगार वृद्धि का धीमा रहना है। यह बात कंपनियों के परचेजिंग मैनेजरों के बीच किए जाने वाले एक मासिक सर्वेक्षण में सामने आयी है।
मासिक आधार पर सेवा क्षेत्र के उत्पादन की निगरानी करने वाला निक्केई इंडिया का सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) मई में बढ़कर 52.2 पर पहुंच गया।
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