उद्योग जगत का कहना है कि कंपनी कर की दर मौजूदा 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर देनी चाहिए। अधिभार और उपकर सहित कर की दर 25% से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।
मांग बढ़ाने के उपाय करने के साथ साथ व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपए की जानी चाहिए। साथ ही बजट में कुछ कदम लीक से हटकर उठाए जाने चाहिए।
पीएचडी चैंबर ऑफ कामर्स के मुताबिक क्रूड में गिरावट और उच्च वास्तविक आय से निजी उपभोग बढ़ने से भारत की ग्रोथ चालू वित्त वर्ष के दौरान आठ फीसदी रह सकती है।
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