देश फिलहाल कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में है, जिसमें हर दिन लगातार 4 लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। वहीं मरने वालों की संख्या में भी लगातार बढ़त देखने को मिल रही है।
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के खिलाफ लड़ाई में चिकित्सीय ऑक्सीजन जुटाने के लिए भारत ने ओपेक देशों खासकर सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) और कुवैत का रुख किया है।
अब तक 34 ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन अपना सफर पूरा कर चुकी हैं, जो विभिन्न राज्यों में 137 टैंकरों में 2,067 टन तरल चिकित्सीय ऑक्सीजन पहुंचा चुकी है।
महिंद्रा लॉजिस्टिक्स ने मंगलवार ‘ऑक्सीजन ऑन व्हील्स’ (ओ2डब्ल्यू) की पेशकश की, जो उत्पादकों को अस्पतालों तथा चिकित्सा केंद्रों के साथ जोड़कर ऑक्सीजन की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए शुरू की गई एक मुफ्त सेवा है।
दिल्ली के एम्स और आरएमएल अस्पताल में डीआरडीओ द्वारा विकसित तकनीक के आधार पर दो ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित किये गये। देश भर में ऐसे 500 संयंत्र स्थापित होंगे।
भारत इस समय कोरोना महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है। हर दिन 3.5 लाख से अधिक मरीज सामने आ रहे हैं।
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर काफी गंभीर और अचानक से आई है। इस मामले में यह अलग है।
कंपनी ने कहा कि पिछले 48 घंटों के दौरान इस सेवा को मिली अभूतपूर्व प्रतिक्रिया को देखते हुए अब कंपनी मरीज के घर पर सीधे ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाने पर विचार कर रही है।
भारत इस समय गंभीर कोरोना संकट से गुजर रहा है। इस संकट के दौर में भारत में सबसे ज्यादा किल्लत मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की हैं।
राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा के मुताबिक प्रदेश को वर्तमान में 310 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की जरूरत है। जबकि प्रदेश को करीब 300 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि छोटे अस्पतालों में तात्कालिक जरूरतों को देखते हुए पोर्टेबल टाइप या ऑक्सीजन कंसंट्रेटर लगाए जाएं, ताकि लोगों को जल्द से जल्द इसका लाभ मिल सके।
कंपनी ने जनता से पांच करोड़ रुपये जुटाए हैं, और इतनी ही राशि अपने पास से मिलाकर कुल 10 करोड़ रुपये के ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदने के लिए ऑर्डर दिए हैं।
मारुति सुजुकी ने अपने कारखानों को रखरखाव के लिए समय से पहले बंद करने का फैसला किया है। इस दौरान सभी कारखानों में उत्पादन बंद रहेगा।
सुविधाओं को प्राप्त करने की पात्रता उन्हीं इकाइयों को होगी, जिनकी उत्पादन क्षमता न्यूनतम 10 क्यूबिक मीटर प्रति घंटा ऑक्सीजन उत्पादन की होगी।
देश में कोराना वायरस की दूसरी लहर चलने के बीच सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां अपने संयंत्रों से 965 टन आक्सीजन को चिकित्सा जरूरत के लिये भेज रही हैं।
प्रमुख बंदरगाहों को मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन, ऑक्सीजन टैंक, ऑक्सीजन बोतल, पोर्टेबल ऑक्सीजन जेनरेटर और ऑक्सीजन कन्स्ट्रेटर लाने वाले जहाजों को प्राथमिकता देने के निर्देश
सार्वजनिक क्षेत्र की स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि., राष्ट्रीय इस्पात निगम लि. और निजी क्षेत्र की टाटा स्टील, आर्सेलर मित्तल, जेएसडब्ल्यू स्टील, जिंदल स्टील एंड पावर, वेदांता ईएसएल ऑक्सीजन की ऑपूर्ति कर रही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्व विभाग को ऐसे स्वास्थ्य उपकरणों के निर्बाध और त्वरित कस्टम क्लीयरेंस को सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया।
बरेली में लगने वाले ऑक्सीजन संयंत्र की क्षमता 130 घन मीटर प्रति घंटा होगी और 30 मई तक चालू हो जाएगा।
कोरोना वायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहे भारत के सामने इस समय सबसे बड़ी किल्लत ऑक्सीजन को लेकर है।
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