डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार एक से पांच मार्च के दौरान एफपीआई ने शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 881 करोड़ रुपये और ऋण या बांड बाजार से 4,275 करोड़ रुपये निकाले हैं। इस तरह उनकी शुद्ध निकासी 5,156 करोड़ रुपये रही है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने पिछले पांच कारोबारी सत्रों में पूंजी बाजार से 5,600 करोड़ रुपए की निकासी की है जबकि इससे पहले दो महीनों में उन्होंने लगातार निवेश किया था।
कच्चे तेल की अधिक कीमतों तथा अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने के अनुमान के बीच इस महीने के पहले दो सप्ताह के दौरान विदेशी निवेशकों ने बांड बाजार से करीब 1,200 करोड़ रुपए की निकासी की। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले पांच महीनों में बांड बाजार से करीब 50 हजार करोड़ रुपए निकाले हैं।
गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) से निवेशकों का लगातार मोहभंग होता जा रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में गोल्ड ईटीएफ से 150 करोड़ रुपए की निकासी की गई। निवेशकों के लिए शेयर बाजार पसंदीदा विकल्प बना हुआ है।
विदेशी निवेशकों द्वारा भारतीय पूंजी बाजारों से धन की निकासी का क्रम जारी है। इस साल की पहली छमाही में पूंजी बाजारों से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की निकासी करीब 48,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गई है। यह पिछले 10 साल का उच्च स्तर है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने अब तक भारतीय पूंजी बाजारों से 5,500 करोड़ रुपए की निकासी की है। वैश्विक व्यापार युद्ध को लेकर चिंता तथा अमेरिकी फेडरल रिजर्व के आक्रामक रुख के संकेतों से विदेशी निवेशक निकासी कर रहे हैं।
विदेशी निवेशकों ने घरेलू पूंजी बाजार से इस महीने अब तक चार अरब डॉलर (26,700 करोड़ रुपए से अधिक) की भारी निकासी की है। इसका मुख्य कारण कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी है। इससे पहले विदेशी निवेशकों ने अप्रैल महीने में घरेलू पूंजी बाजार (इक्विटी और डेट) से 15,500 करोड़ रुपए से अधिक की निकासी की थी।
विदेशी निवेशकों ने इस महीने अब तक पूंजी बाजारों से करीब 18,000 करोड़ रुपए (2.65 अरब डॉलर) की पूंजी निकासी की है। मुख्य रूप से वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम में तेजी तथा अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव के कारण यह निकासी की गयी है।
कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी और स्थानीय स्तर पर सरकारी प्रतिभूतियों से आय में वृद्धि के कारण विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने पिछले आठ कारोबारी दिनों में घरेलू पूंजी बाजार से 12,671 करोड़ रुपये (करीब दो अरब डॉलर) की निकासी की।
सरकारी बांड से कमाई बढ़ने और कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में तेजी आने से विदेशी निवेशकों ने घरेलू पूंजी बाजार से अप्रैल महीने के दौरान 15,500 करोड़ रुपए की निकासी की। यह पिछले 165 महीनों की सर्वाधिक निकासी है।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने इस महीने घरेलू शेयर और बॉन्ड बाजार से अब तक करीब 8,000 करोड़ रुपए की निकासी की है। इससे पहले मार्च में विदेशी निवेशकों ने शेयर बाजार में 11,654 करोड़ रुपए निवेश किए थे जबकि ऋणपत्र बाजार से नौ हजार करोड़ रुपए की निकासी की थी।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने दिसंबर महीने में शेयर बाजार से 7,300 करोड़ रुपए की निकासी की है। इसके पीछे प्रमुख वजह कच्चे तेल की कीमत बढ़ना और राजकोषीय घाटे के दायरे में वृद्धि होना बताया जा रहा है।
एम्फी के ताजा आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के पहले साल महीनों (अप्रैल से अक्टूबर) में निवेशकों ने गोल्ड ईटीएफ से 420 करोड़ रुपए की निकासी की है।
एक निवेश उत्पाद के रूप में गोल्ड ईटीएफ की लोकप्रियता लगातार घट रही है। अप्रैल-जुलाई के दौरान गोल्ड ईटीएफ से लोगों ने 250 करोड़ रुपए निकाले हैं।
चालू वित्त वर्ष के शुरुआती छह माह में निवेशक Gold ETF से कुल मिलाकर 539 करोड़ रुपए की निकासी कर चुके हैं। सिर्फ सितंबर में 77 करोड़ रुपए की हुई निकासी।
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