तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक और उसके साथियों के उत्पादन में कटौती पर सहमति जताने के बाद कच्चे तेल की कीमतों में तेजी आने से सोमवार को एयरलाइन और तेल विपणन कंपनियों के शेयरों में गिरावट हुई।
तेल निर्यातक देशों का समूह ओपेक और रूस के बीच उत्पादन कटौती के करार से सोमवार को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में जोरदार उछाल आया।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन और सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अल सौद को तेल समझौता करने के लिए शुक्रिया अदा किया है।
मैक्सिको 4 लाख बैरल प्रतिदिन की जगह एक लाख बैरल कटौती के लिए तैयार
मेक्सिको को छोड़कर प्रमुख तेल उत्पादक देशों ने मई और जून में उत्पादन में प्रतिदिन एक करोड़ बैरल की कटौती करने पर सहमति व्यक्त की है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह कहा था कि रूस और सउदी अरब अपने-अपने रुख से पीछे हटने और उत्पादन में कटौती को लेकर तैयार होंगे।
सूत्रों के मुताबिक ओपेक प्लस की बैठक अब 9 अप्रैल को हो सकती है।
कीमतों में रिकॉर्ड गिरावट के बीच कच्चे तेल में स्थिरता के उपायों पर चर्चा होगी
सऊदी अरब ने गुरुवार को तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और अन्य सहयोगी तेल उत्पादक देशों की अचानक से बैठक बुलायी है।
सोमवार सुबह अंतरराष्ट्रीय बाजार में डब्ल्यूटीआई क्रूड का भाव घटकर 28 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गया है वहीं ब्रेंट क्रूड का भाव 32 डॉलर के नीचे है।
कच्चे तेल की कीमतों में 1 फीसदी से ज्यादा की बढ़त रही है
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में बीते सप्ताह तेजी लौटी, लेकिन चीन में कोरोनावायरस के प्रकोप के कारण तेल की मांग नरम रहने से कीमतों में ज्यादा तेजी की उम्मीद नहीं दिख रही है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम बढ़ने से पेट्रोल और डीजल के दाम में बढ़ोतरी तय है क्योंकि भारत अपनी तेल खपत के लिए मुख्य रूप से आयात पर निर्भर करता है।
दुनियाभर के कुल कच्चे तेल का 40 प्रतिशत उत्पादन ओपेक देश (ऑर्गेनाइजेशन ऑफ दि पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज) करते हैं।
कच्चे तेल के दाम में आई जोरदार तेजी के कारण डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल सोमवार को एक बार फिर मंद पड़ गई। डॉलर के मुकाबले रुपये में तकरीबन एक फीसदी की कमजोरी आई, जो कि देसी करेंसी में दो अगस्त के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है।
भारत ने वैश्विक तेल बाजार को संतुलित रखने के लिए रूस से तेल निर्यातक देशों के संगठन ओपेक पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने का दबाव डाला है। भारत ने कच्चे तेल की पर्याप्त आपूर्ति और कीमतों को उचित स्तर पर बनाए रखने के मकसद से यह कदम उठाया है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बीते हफ्ते कच्चे तेल के दाम में फिर तेजी लौटी है। बेंचमार्क कच्चा तेल ब्रेंट क्रूड का भाव फिर 63 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर चला गया है और आगे और तेजी रहने की संभावना जताई जा रही है।
कच्चे तेल की गिरती कीमतों को थामने के लिए तेल निर्यातक देशों का संगठन ओपेक उत्पादन में कटौती पर फैसले से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनियाभर के नेताओं के बयान पर गंभीरता से विचार करेगा।
खाड़ी देश कतर ने दुनिया के सबसे शक्तिशाली संगठनों में से एक ओपेक से अलग होने की घोषणा कर दी है।
कच्चे तेल के प्रमुख उत्पादक देश 2014 की तरह कीमतों में गिरावट आने की आशंका के मद्देनजर तेल उत्पादन में संभावित कटौती को लेकरविचार कर सकते हैं।
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