ऑनलाइन स्कैम या फ्रॉड की घटनाओं के बीच आज के दौर में अपने बैंक अकाउंट की सिक्योरिटी को सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है। महज चंद सेकेंड में पूरा अकाउंट ही खाली होने का खतरा बना रहता है।
डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबलडेटा के मुताबिक, इस उछाल का श्रेय मोबाइल वॉलेट के व्यापक इस्तेमाल को दिया जा सकता है। भारत में यूपीआई के इस्तेमाल ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है।
ई-कॉमर्स कंपनियो या मार्केटप्लेस को आने वाले समय में कस्टमर्स के रिव्यू को एडिट करने का भी ऑप्शन नहीं मिलेगा। कंपनियों को सरकार के नए नियमों से होकर गुजरना होगा। जो कंपनियां इसका उल्लंघन करेंगी उन पर कार्रवाई होगी।
ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर प्रोडक्ट्स और सर्विस की नकली समीक्षाएं अभी भी सामने आ रही हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने कहा कि उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिए, अब हम इन मानकों को अनिवार्य बनाना चाहते हैं।
यह ट्रेंड शुरू में 2019 के चुनावों के दौरान उभरा, जब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म प्रचार माल और सहायक उपकरण के लिए पसंदीदा गंतव्य बन गए। तर्क दिया गया कि जब सब कुछ ऑनलाइन बेचा जाता है, तो यह क्यों नहीं।
शाकाहारी उत्पादों की आपूर्ति के लिए एक अलग दस्ता बनाने के जोमैटो के फैसले का सोशल मीडिया पर विरोध होने लगा था। कंपनी के ऐप पर नॉन-वेज और वेज फूडे के सेक्शन अलग-अलग नजर आते रहेंगे।
जिस मोबाइल नंबर से कॉल आ रहा हो, उसकी प्रामाणिकता जांचें,अपनी कॉलर आईडी पर आंख मूंदकर भरोसा न करें। कस्टमर केयर नंबर हासिल करने के लिए हमेशा कंपनी की आधिकारिक वेबसाइट देखें।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम ने 14 मार्च को कंपनी के यूजर्स के लिए यूपीआई लेनदेन जारी रखने के लिए एसबीआई, एक्सिस बैंक, यस बैंक और एचडीएफसी बैंक के सहयोग से पेटीएम के लिए एक थर्ड पार्टी एप्लिकेशन प्रोवाइडर परमिट को मंजूरी दे दी।
सर्वेक्षण में 364 से ज्यादा जिलों के 34,000 से अधिक लोगों ने अपनी राय दी। इनमें 67 प्रतिशत पुरुष और 33 प्रतिशत महिलाएं थीं।
मंत्रालय अलग-अलग चीनी कंपनियों, खासकर कर्ज ऐप से जुड़ी कंपनियों के खिलाफ पड़ताल कर रहा है और इनमें से कुछ जांच आखिरी फेज में हैं। मंत्रालय यह देख रहा है कि क्या इन कंपनियों में कोई धोखाधड़ी हुई है।
31 अक्टूबर, 2023 के एनपीसीआई सर्कुलर में कहा गया है कि सभी सदस्यों से रिक्वेस्ट है कि वे इस पर ध्यान दें और 31 जनवरी 2024 तक सभी आईएमपीएस चैनलों पर मोबाइल नंबर + बैंक नाम के माध्यम से फंड ट्रांसफर शुरू करने और स्वीकार करने का अनुपालन करें।
कस्टमर्स अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड का टोकन बनाकर उसे अलग-अलग ऑनलाइन पोर्टल (ई-कॉमर्स) या ऐप के अपने अकाउंट से अटैच कर सकेंगे। पहले सीओएफ टोकन सिर्फ विक्रेता के ऐप या वेबपेज के जरिये ही बनाया जा सकता था।
भारतीय स्टेट बैंक ने हालांकि यह कहा है कि इस दौरान यूपीआई,आईएमपीएस या आरटीजीएस सर्विस हमेशा की तरह उपलब्ध रहेंगी।
Online Payment करते समय हमेशा सावधान रहना चाहिए। इस आर्टिकल में हम उन तरीकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से आप क्रेडिट कार्ड फ्रॉड को टाल सकते हैं।
लिंक किए गए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन के लिए किया जा सकता है। इससे करेंसी एक्सचेंज और मल्टीपल पेमेंट गेटवे की जरूरत ही खत्म हो जाती है।
विदेशी ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए भारत में रजिस्ट्रेशन करना जरूरी हो गया है। हालांकि 1 अक्टूबर के बाद से ऐसी कंपनियों के रजिस्ट्रेशन का अभी तक कोई आंकड़ा सामने नहीं आया है।
एक नए सर्वे यह भी कहा जा रहा है कि करीब 83 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने अनिच्छा से कन्वेनिएंस चार्ज का पेमेंट किया है। सर्वे में जवाब देने वालों में 64 प्रतिशत पुरुष और 36 प्रतिशत महिलाएं थीं।
IMPS यूजर्स को समय और स्थान की परवाह किए बिना, बैंकों के बीच तुरंत पैसे ट्रांसफर करने की परमिशन देता है। हां, इसके लिए आपको मामूली चार्ज देने होते हैं।
सीबीआईसी के चेयरमैन संजय अग्रवाल ने कहा कि हम 1 अक्टूबर से ऑनलाइन गेमिंग पर 28 फीसदी जीएसटी दर लागू करने जा रहे हैं।
सीबीआईसी के चेयरमैन ने कहा, ‘‘हम ऑनलाइन गेमिंग का संशोधित प्रावधान एक अक्टूबर से लागू करने के लिये पूरी तरह से तैयार हैं। जीएसटी परिषद की पिछली बैठक में लिये गये निर्णय के अनुसार, संबंधित अधिसूचनाएं प्रक्रियाधीन हैं। सभी राज्यों के लिये इस संदर्भ में 30 सितंबर तक कानून बनाना या अध्यादेश लाना जरूरी है।
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