देश में प्याज का उत्पादन फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) में पिछले साल से 17 फीसदी ज्यादा होने पर भी घरेलू आपूर्ति का टोटा हो गया है और प्याज घरेलू खपत के मुकाबले आपूर्ति की कमी दूर कर इसकी कीमतों को काबू में रखने के लिए भारत को विदेशों से प्याज मंगाना पड़ रहा है।
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार को प्याज का अधिकत खुदरा भाव 165 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया। ज्यादातर शहरों में प्याज 100 रुपए से ऊपर बिकी।
आयकर विभाग ने देशभर में 100 से अधिक स्थानों पर छापे की यह कार्रवाई की है।
केंद्र सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) को खत्म करने की घोषणा की है।
प्याज की कीमतों में तेजी से चिंतित सरकार ने कहा है कि इसकी घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के लिए निजी व्यापारियों द्वारा मिस्र से 2,400 टन प्याज का आयात किया गया है।
मध्यप्रदेश में इस बार प्याज की बम्पर पैदावार के चलते राज्य सरकार ने नये शीत भंडार गृह खोलने को बढ़ावा देने की कवायद तेज कर दी है।
सरकार बफर स्टॉक बनाने के लिए अपने लक्ष्य से अधिक किसानों से 20,000 टन प्याज खरीदा है। सरकार प्याज का इस्तेमाल कीमत बढ़ने पर करेगी।
किसान ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि जिला कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) में लगभग एक टन प्याज बेचकर वह केवल एक रुपया ही कमा सका है।
प्याज की गिरती कीमतों का सामना करते हुए व्यापारियों ने इस मुद्दे का समाधान करने के लिए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की मांग की है।
सरकार ने बफर स्टाक बनाने के लिए किसानों से अभी तक सीधे 2,300 टन प्याज की खरीद की है। इसका मकसद प्याज कीमतों में तेजी आने पर अंकुश लगाना है।
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