प्याज की बढ़ती कीमतों को लेकर केंद्र सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने प्याज की जमाखोरी रोकने के लिए प्याज कारोबारियों पर स्टॉक लिमिट लागू कर दी है।
आपूर्ति की कमी के कारण लगातार बढ़ रही प्याज की कीमतों के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने तत्काल प्रभाव से सभी किस्मों के प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने पूरे विश्व से प्याज की सभी किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार, 2018-19 में प्याज का उत्पादन 343.85 लाख टन है, जोकि पिछले वर्ष के उत्पादन 232.82 लाख टन से ज्यादा है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी आश्वासन दिया कि प्याज की कीमतें अगले कुछ दिनों में कम होना शुरू हो जाएंगी। इसके भाव देश के कुछ भागों में इस समय में 70-80 रुपए प्रति किलोग्राम के आसपास चल रहे हैं।
अगले 10 दिनों के भीतर प्याज की बिक्री राशन की दुकानों और मोबाइल वैन के जरिये शुरू कर दी जाएगी।
राष्ट्रीय राजधानी और देश के अन्य हिस्सों में प्याज का खुदरा भाव 70 से 80 रुपए प्रति किलोग्राम की ऊंचाई पर पहुंच चुका है। ऐसे में केंद्र सरकार प्याज व्यापारियों के भंडारण की सीमा तय करने पर विचार कर रही है।
प्याज के दाम को काबू में रखने के लिए सरकार की ओर से इस जून से ही किए जा रहे प्रयास विफल साबित हो रहे हैं क्योंकि प्याज ने देश के आम उपभोक्ताओं को रुलाना शुरू कर दिया है। देश की राजधानी दिल्ली स्थित आजादपुर मंडी में प्याज का थोक भाव 50 रुपए प्रति किलो हो गया है, जोकि 2015 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है।
उत्पादक राज्यों विशेषकर महाराष्ट्र में खेती के रकबे में 10 प्रतिशत की गिरावट के कारण प्याज के दामों में तेजी आई है।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्याज की कीमत ऊंची बनी हुई है। बाढ़ प्रभावित उत्पादक राज्यों से कम आपूर्ति के कारण राजधानी में प्याज की कीमतें शुक्रवार को लगभग 50 रुपये किलो के स्तर पर बनी रहीं। व्यापारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। हालांकि, ई-वाणिज्य कंपनियां इसे कम दाम पर बेचकर ग्राहकों को कुछ राहत पहुंचा रही हैं।
प्याज के प्रमुख उत्पादक प्रदेशों में हुई भारी बारिश के कारण फसल खराब होने की आशंका से प्याज के दाम में तेजी देखी जा रही है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में पिछले 10 दिनों में प्याज के दाम में 10 रुपये प्रति किलो का इजाफा हो गया है।
पंजाब और हरियाणा के साथ इनकी संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में प्याज 50 रुपए प्रति किलो के भाव पर बिक रही है।
प्याज की कीमतों में आई तेजी को देखते हुए केंद्र सरकार इसके निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए जो सब्सिडी दे रही थी उसे अब बंद करने की घोषणा की गई है।
प्याज के अलावा सरकार इस वर्ष दलहन के लिए भी 16.15 लाख टन का बफर स्टॉक बना रही है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के एक अध्ययन में कहा गया है कि प्याज की कीमतों में इजाफे की आशंका के बावजूद आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत से नीचे रहने की ही संभावना है।
उत्पादक राज्यों से आपूर्ति घटने की वजह से पिछले 10 दिनों के भीतर राष्ट्रीय राजधानी में प्याज की थोक कीमतों में 7 से 10 रुपए प्रति किलो तक की बढ़ोतरी हो चुकी है।
अप्रैल 2017 से जनवरी 2018 के दौरान देश से प्याज निर्यात में 25 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आई है, इस दौरान देश से सिर्फ 20.34 लाख टन प्याज का निर्यात हो पाया
सरकार ने प्याज किसानों को अच्छा भाव दिलाने के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त को तो हटाया है लेकिन इसके बावजूद प्याज का भाव लगातार कम हो रहा है।
नवंबर के दौरान देश से सिर्फ 92944 टन प्याज का निर्यात हो पाया है, नवंबर 2015 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि मासिक निर्यात 1 लाख टन से नीचे फिसला हो।
Onion Price : इस साल प्याज उत्पादन भी 10 लाख टन कम अनुमानित है, पिछले साल 224 लाख टन प्याज पैदा हुआ था और इस साल 214 लाख टन पैदा होने का अनुमान है
स्टॉक लिमिट के तहत प्याज कारोबारी सरकार की तय की हुई लिमिट से ज्यादा स्टॉक नहीं रख सकते जिस वजह से मंडियों में प्याज की सप्लाई ज्यादा होती है
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