दक्षिणी राज्यों में वाहनों पर सबसे ज्यादा कर कर्नाटक में लगता है लेकिन नया कानून बनने के बाद आंध्र प्रदेश उसके बाद दूसरे स्थान पर आ गया है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि कबाड़ नीति से केंद्र और राज्यों दोनों का माल एवं सेवा कर (जीएसटी) राजस्व बढ़ेगा।
सीएससी एसपीवी की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने एनसीआरबी के निदेशक रामफल पवार और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में इस सेवा की शुरुआत की।
इस पॉलिसी पर 2015 से काम चल रहा है और इसका उद्देश्य वाहन मालिकों को अपने पुराने व प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को कबाड़ में देने के लिए प्रोत्साहित करना है।
पुराने वाहनों के मामले में कर्नाटक शीर्ष पर है। कर्नाटक की सड़कों पर ऐसे 70 लाख वाहन दौड़ रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में ऐसे वाहनों की संख्या 56.54 लाख है। राजधानी दिल्ली तीसरे स्थान पर है।
15 साल से अधिक पुराने कमर्शियल वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए शुल्क को मौजूदा 200 रुपये से बढ़ाकर कैब के लिए लगभग 7500 रुपये और ट्रक के लिए 12,500 रुपये तक किया जाएगा।
सीएमवीआर, 1989 के मुताबिक 2017 से नए चार पहिया वाहनों के रजिस्ट्रेशन के लिए फास्टैग को अनिवार्य किया गया है। यह फास्टैग वाहन निर्माता या उसके डीलर द्वारा उपलब्ध कराया जाता है।
मारुति सुजुकी टोयोट्सू इंडिया द्वारा नोएडा में स्थापित संयंत्र पहला है और पूरे भारत में ऐसे अन्य संयंत्रों को स्थापित किया जाएगा।
सरकार ने मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव किया है जिसके तहत 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को उपयोग से हटाकर कबाड़ में भेजने का प्रावधान किया गया है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने आज कहा कि देश में 15 साल से अधिक पुराने वाहनों को कबाड़ में तब्दील करने की नीति जल्दी ही आएगी।
राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया कि ऐसे लोगों पर, जो अपना पुरानी कार या पुराने सोने के आभूषणों को बेचना चाहता है उसे वस्तु एवं सेवा कर (GST) नहीं देना होगा।
15 साल पुराने वाहनों को तोड़ना अनिवार्य बनाया जाएगा। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि इसकी शुरुआत भारी वाहनों को इसके दायरे में लाते हुए की जाएगी।
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