ब्रोकरेज फर्म नोमुरा ने कहा कि सितंबर तिमाही में जीडीपी की वृद्धि में तेजी आएगी और उसने चालू वित्त वर्ष में 10.4 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि का अपना अनुमान बरकरार रखा है।
श्रमिक की भागीदारी दर भी पिछले सप्ताह के 40.5 प्रतिशत से और कम होकर 39.4 प्रतिशत रह गई। बेरोजगारी दर भी इस अवधि में 14.4 प्रतिशत से बढ़कर 14.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
ब्रोकरेज कंपनी ने कहा कि जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान में कमी का कारण लॉकडाउन की वजह से जून तिमाही में होने वाला नुकसान है।
लॉकडाउन से आवाजाही पर उल्लेखनीय असर पड़ा है और इस बात के संकेत है कि इसका प्रभाव बिजली मांग, रेल माल ढुलाई जैसे कारकों के रूप में अर्थव्यवस्था के वृहत भाग पर है।
नोमुरा ने 2021 के लिये वृद्धि दर के अनुमान को 11.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। हालांकि मौजूदा कोविड लहर से अप्रैल जून तिमाही पर असर की संभावना दी है।
ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि संक्रमण बढ़ने के परिणामस्वरूप 21 मार्च को समाप्त सप्ताह में नोमूरा इंडिया बिजनेस रिजम्पशन इंडेक्स गिरकर 95.1 हो गया, जो इससे पहले के सप्ताह में 95.4 था।
रिपोर्ट के मुताबिक वाहन बिक्री, आयात में वृद्धि, जीएसटी संग्रह, विनिर्माण पीएमआई (परचेजिंग मैनेजर इंडेक्स) और डीजल की बिक्री बेहतर हुई है, जिससे अर्थव्यवस्था के तेजी से पटरी पर आने के संकेत मिल रहे हैं वहीं त्योहार और जाड़े के मौसम के बावजूद संक्रमण के नये मामलों में कमी भी सकारात्मक संकेत है।
उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस संकट ने देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ाया है। इसके प्रसार को सीमित करने के लिए देशभर में 21 दिन का लॉकडाउन लागू किया गया है।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का संकट लंबा खिच जाने के कारण घरेलू ऋण उपलब्धता की स्थिति गंभीर बनी हुई है।
सेवा क्षेत्र में सुस्ती , कम निवेश और खपत में गिरावट के बीच देश की आर्थिक वृद्धि इस साल जून तिमाही में 5.7 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने अपनी रपट में यह कहा है।
श्रीलंका, पाकिस्तान और तुर्की सहित सात देशों में विनिमय दर संकट का जोखिम पैदा हो गया है क्योंकि अर्जेंटीना और तुर्की की स्थिति को देखने के बाद निवेशक अपने जोखिमों का नए सिरे से आकलन कर रहे हैं।
देश का चालू खाते का घाटा (कैड) चालू वित्त वर्ष में बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 2.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। नोमूरा की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।
वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की अग्रणी कंपनी नोमूरा ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था बेशक अप्रैल-जून तिमाही में मजबूत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करेगी, लेकिन आगामी महीनों में यह रफ्तार सुस्त पड़ सकती है।
देश में अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले घरेलू शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव भरे रहने की संभावना है। नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार इस राजनीति की अस्पष्टता के चलते निकट अवधि में शेयरों का मूल्यांकन सीमित ही रह सकता है।
वित्तीय सेवा प्रदाता कंपनी नोमुरा की एक रिपोर्ट के अनुसार औद्योगिक उत्पादन में मार्च महीने में सुस्ती रहने के बावजूद जनवरी-मार्च तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि बढ़कर 7.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव तथा वृद्धि में तेजी के बीच अर्थव्यवस्था में नकदी का चलन एक बार फिर से तेजी से बढ़ा है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समय अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह नोटबंदी से पहले के स्तर पर पहुंच गया है।
भारतीय अर्थव्यवस्था में चक्रीय सुधार दिखने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि निवेश और उपभोग में सुधार से इस साल की पहली छमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की औसत वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत रहेगी।
जापान की वित्तीय सेवा कंपनी नोमूरा ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि जनवरी-मार्च तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार आने की उम्मीद है और इसकी जीडीपी ग्रोथ 2018 में 7.5 प्रतिशत के आसपास रह सकती है।
नोमुरा ने पूर्वानुमान व्यक्त किया कि चौथी तिमाही में वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहेगी जबकि पूरे साल के लिए यह 6.2 प्रतिशत रहेगी जो 2018 में बेहतर होकर 7.5 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी।
विश्लेषकों का मानना है कि बढ़ती महंगाई दर को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति अगली समीक्षा बैठक में नीतिगत दर को शायद ही कम करे।
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